Advertisment

प्रधानमंत्री ने मंडी में कम लागत वाली मेड इन इंडिया भूस्खलन निगरानी प्रणाली की समीक्षा की

प्रधानमंत्री ने मंडी में कम लागत वाली मेड इन इंडिया भूस्खलन निगरानी प्रणाली की समीक्षा की

author-image
IANS
New Update
Mandi Prime

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

Advertisment

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश के अपने दौरे के दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मंडी द्वारा विकसित भूस्खलन निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणाली की समीक्षा की।

आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, डॉ. वरुण दत्त और सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, डॉ. के.वी. उदय की ओर से विकसित यह उपकरण पारंपरिक रूप से उपयोग की जाने वाली निगरानी प्रणालियों का एक कम लागत वाला विकल्प है और पहले से ही मिट्टी की गति की भविष्यवाणी करके भूस्खलन को कम करता है।

आईआईटी, मंडी की ओर से एक विज्ञप्ति में कहा गया है, भूस्खलन निगरानी प्रणाली टेक्स्ट मैसेज के माध्यम से दूर से सड़क पर स्थापित हूटर और ब्लिंकर के माध्यम से मिट्टी की आवाजाही अलर्ट प्रदान करती है। इसके अलावा, यदि 5 मिलीमीटर से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की जाती है, तो सिस्टम अग्रिम रूप से वर्षा अलर्ट भेजता है। मिट्टी की गति में परिवर्तन की निगरानी करके भूस्खलन की भविष्यवाणी वास्तव में होने से 10 मिनट पहले कर दी जाती है। सिस्टम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निग की मदद से मौसम की चरम घटनाओं की भी भविष्यवाणी करता है।

प्रोटोटाइप डिवाइस को पहली बार जुलाई-अगस्त 2017 में आईआईटी मंडी के कामंद परिसर के पास घरपा पहाड़ी पर एक सक्रिय भूस्खलन क्षेत्र में तैनात किया गया था। मंडी जिला प्रशासन के सहयोग से 2018 में पहली फील्ड तैनाती कोटरोपी लैंडस्लाइड में हुई थी।

डिवाइस की उपयोगिता 27 जुलाई, 2018 को देखी गई थी, जब बारिश और अचानक आई बाढ़ के कारण मंडी-जोगिंदर नगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोटरोपी में एक हादसा टल गया था।

आपदा से कुछ मिनट पहले, सिस्टम ने एक चेतावनी जारी कर पुलिस को अचानक बाढ़ आने से पहले सड़क यातायात को रोकने के लिए प्रेरित किया था। विज्ञप्ति में कहा गया है कि अचानक आई बाढ़ के कारण सड़क बह गई, लेकिन समय पर चेतावनी के कारण सड़क पर कोई भी प्रभावित नहीं हुआ।

इसके सेंसर और अलर्टिग मैकेनिज्म के साथ सिस्टम की बिक्री मूल्य लगभग 1 लाख रुपये है, जो कि एक पारंपरिक समकक्ष की तुलना में लगभग 200 गुना कम है जो करोड़ों रुपये में आता है। विकसित प्रणाली पर चार पेटेंट दायर किए गए हैं और इसे एक फैकल्टी के नेतृत्व वाले स्टार्टअप, इंटियट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, भारत के माध्यम से व्यावसायिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा।

अब तक, 18 सिस्टम मंडी जिले में तैनात किए गए हैं। इसके अलावा बलियानाला (नैनीताल जिला), उत्तराखंड में तीन सिस्टम, भारतीय रेलवे के कालका-शिमला ट्रैक के साथ धर्मपुर में तीन और सिरमौर जिले, हिमाचल प्रदेश में तीन सिस्टम स्थापित किए गए हैं।

हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र के कई जिलों में कई अन्य तैनाती भी पाइपलाइन में हैं।

भूस्खलन दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा है, जिसमें भारत सबसे बड़ी आपदा का सामना कर रहा है। भारत का 15 प्रतिशत हिस्सा भूस्खलन से ग्रस्त है। इस आपदा की वजह से विश्व स्तर पर हर साल 5,000 से अधिक लोगों की जान चली जाती है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

Advertisment
Advertisment
Advertisment