पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार को चुनौती दी है. एक तरफ जहां केंद्र सरकार देश भर में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) की कवायद शुरू करने की बात कर रहा है, वहीं ममता बनर्जी ने केंद्र को चुनौती देते हुए सूबे की सभी शरणार्थी कॉलोनियों को नियमित करने का फैसला किया है. जाहिर है राज्य में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ममता बनर्जी बांग्लादेशी मुसलमानों को टीएमसी की तरफ करने के लिए ही इस कवायद को अंजाम देने जा रही हैं.
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दीदी ने की शरणार्थियों के अधिकारों की बात
सोमवार को नबाना में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने अपनी मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के चलते शरणार्थियों के अधिकारों तक की बात कर दी. उन्होंने कहा कि सरकार ने निर्णय किया है कि प्रदेश की सभी रिफ्यूजी सैटलमेंट की जमीन का नियमतिकरण कर दिया जाए. यह काम लंबे समय से नहीं हुआ है. इसके पहले मार्च 1971 में रिफ्यूजी सैटलमेंट्स की जमीन का नियमतिकरण किया गया था. उसके बाद से वे बगैर घर और जमीन के हैं. मेरी सरकार का मानना है कि शरणार्थियों के भी अधिकार होते हैं.
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देश भर में इस मसले पर राजनीति हुई गर्म
गौरतलब है कि एनआरसी के मसले पर देश भर में सियासत गर्म है. इस पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद तो पक्ष-विपक्ष में आवाजें और तेज हो गई हैं. बाबा रामदेव से लेकर बिहार, असोम और गुजरात तक में तीखी बयानबाजी हो गई है. केंद्र सरकार जहां एनआरसी को चुनावी घोषणापत्र में किया गया वादा करार दे रही है. वहीं विरोधी दल इसे मुसलमानों के उत्पीड़न की कार्रवाई करार दे रहे हैं. ममता बनर्जी ने तो इसके विरोध में रिफ्यूजी सैटलमेंट्स के नियमतिकरण की बात कर केंद्र की मंशा को खुलेआम चुनौती दे डाली है.
HIGHLIGHTS
- ममता सरकार सभी रिफ्यूजी सैटलमेंट्स को करेंगी नियमित.
- दीदी ने इसे शरणार्थियों के अधिकार की बात करार दिया.
- देश भर में एनआरसी पर सियासित हुई गर्म.