इसे पश्चिम बंगाल में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव का असर कहा जा सकता है कि राज्य की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी मंगलवार को 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की लकीर खींचती नजर आईं. माना जा रहा है कि लोकसभा में बीजेपी के 'सॉफ्ट हिंदुत्व' के बलबूते बढ़ते प्रभाव को आगामी विधानसभा चुनाव में काउंटर करने के लिए ही दीदी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. ममता बनर्जी ने अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार 'अल्पसंख्यक कट्टरता' का जिक्र किया है और लोगों को इसके खिलाफ सचेत किया है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलीमीन का नाम लिए बिना उन्होंने इस पर निशाना साधा है.
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कूचबिहार में दिया बया बयान
इस मौके का सबब बनी है कूचबिहार में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ हुई बैठक. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, 'मैं देख रही हूं कि अल्पसंख्यकों के बीच भी कई कट्टरपंथी सिर उठाने लगे हैं. ठीक उसी तरह से जैसे हिंदुओं के बीच भी कुछ कट्टरपंथी हैं. एक राजनीतिक पार्टी है, जो बीजेपी से पैसे ले रही है. हालांकि उनका ठिकाना पश्चिम बंगाल नहीं, बल्कि हैदराबाद है. आप लोग इन पर ध्यान मत दें.' इस बैठक के बाद ममता बनर्जी कूचबिहार स्थित मदन मोहन मंदिर गईं और वहां प्रार्थना की.
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बीजेपी के प्रभाव से डरी दीदी
अल्पसख्यक कट्टरवाद से उन्होंने पहली बार मुस्लिम नेतृत्व पर निशाना साधा है. राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि बीजेपी के प्रभाव से सहमी दीदी अब हिंदुओं को और नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक ममता के बयान और उनकी मंदिर यात्रा को 'हिंदू कार्ड' के तौर पर देख रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस बीजेपी से मुकाबले के लिए अपनी लाइन बदल रही है. दरअसल कूचबिहार में हिंदू मतदाताओं की संख्या ज्यादा है और तृणमूल कांग्रेस की नजर इसी वोट बैंक पर है.
HIGHLIGHTS
- कूचबिहार में ममता बनर्जी ने अल्पसंख्यक कट्टरता पर दिया बयान.
- संबोधन के बाद मदन मोहन मंदिर जाकर प्रार्थना भी की.
- बीजेपी के सॉफ्ट हिंदुत्व से डरी हैं ममता, हिंदुओं को भरमाने की कोशिश.
BJP से मुकाबिल ममता बनर्जी ने बदली लाइन, 'अल्पसंख्यक कट्टरता' पर किया सतर्क
ममता बनर्जी ने अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार 'अल्पसंख्यक कट्टरता' का जिक्र किया है और लोगों को इसके खिलाफ सचेत किया है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलीमीन का नाम लिए बिना उन्होंने इस पर निशाना साधा है.
ममता बनर्जी ने अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार 'अल्पसंख्यक कट्टरता' का जिक्र किया है और लोगों को इसके खिलाफ सचेत किया है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलीमीन का नाम लिए बिना उन्होंने इस पर निशाना साधा है.
बीजेपी से डरी ममता बनर्जी ने बदली लाइन.( Photo Credit : एजेंसी)
इसे पश्चिम बंगाल में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव का असर कहा जा सकता है कि राज्य की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी मंगलवार को 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की लकीर खींचती नजर आईं. माना जा रहा है कि लोकसभा में बीजेपी के 'सॉफ्ट हिंदुत्व' के बलबूते बढ़ते प्रभाव को आगामी विधानसभा चुनाव में काउंटर करने के लिए ही दीदी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. ममता बनर्जी ने अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार 'अल्पसंख्यक कट्टरता' का जिक्र किया है और लोगों को इसके खिलाफ सचेत किया है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलीमीन का नाम लिए बिना उन्होंने इस पर निशाना साधा है.
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कूचबिहार में दिया बया बयान
इस मौके का सबब बनी है कूचबिहार में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ हुई बैठक. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, 'मैं देख रही हूं कि अल्पसंख्यकों के बीच भी कई कट्टरपंथी सिर उठाने लगे हैं. ठीक उसी तरह से जैसे हिंदुओं के बीच भी कुछ कट्टरपंथी हैं. एक राजनीतिक पार्टी है, जो बीजेपी से पैसे ले रही है. हालांकि उनका ठिकाना पश्चिम बंगाल नहीं, बल्कि हैदराबाद है. आप लोग इन पर ध्यान मत दें.' इस बैठक के बाद ममता बनर्जी कूचबिहार स्थित मदन मोहन मंदिर गईं और वहां प्रार्थना की.
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बीजेपी के प्रभाव से डरी दीदी
अल्पसख्यक कट्टरवाद से उन्होंने पहली बार मुस्लिम नेतृत्व पर निशाना साधा है. राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि बीजेपी के प्रभाव से सहमी दीदी अब हिंदुओं को और नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं. ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक ममता के बयान और उनकी मंदिर यात्रा को 'हिंदू कार्ड' के तौर पर देख रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस बीजेपी से मुकाबले के लिए अपनी लाइन बदल रही है. दरअसल कूचबिहार में हिंदू मतदाताओं की संख्या ज्यादा है और तृणमूल कांग्रेस की नजर इसी वोट बैंक पर है.
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