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बंगाल में बाढ़ की स्थिति पर ममता ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

बंगाल में बाढ़ की स्थिति पर ममता ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

Updated on: 06 Oct 2021, 10:40 PM

कोलकाता:

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य में बार-बार आने वाली बाढ़ की स्थिति का तत्काल और स्थायी समाधान करने का आग्रह किया है।

प्रधानमंत्री को लिखे चार पन्नों के पत्र में मुख्यमंत्री ने बाढ़ को मानव निर्मित बताते हुए आरोप लगाया कि पंचेट और मैथन में डीवीसी बांधों से पानी के अनियोजित निर्वहन से राज्य के कई जिलों में अभूतपूर्व बाढ़ आई है।

मुख्यमंत्री ने तीन दिनों में 5 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने का विवरण देते हुए आरोप लगाया कि डीवीसी (दामोदर घाटी निगम) के अधिकारियों ने भारी बारिश की आईएमडी की चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया और जब भारी वर्षा हुई तो 30 सितंबर से 2 अक्टूबर के बीच लगभग 10 लाख एकड़ फीट पानी छोड़ा गया, जिससे निचले दामोदर क्षेत्र में त्योहारी सीजन से पहले गंभीर तबाही हुई।

उन्होंने आगे लिखा, डीवीसी की कल्पना एक बहु-राज्य सार्वजनिक संगठन के रूप में की गई थी। लेकिन डीवीसी दामोदर में अंतर-राज्यीय प्रवाह और पानी के निर्वहन को विनियमित करने और अपने बांधों की जलधारण क्षमता को बढ़ाने या अपने मौजूदा बुनियादी ढांचे को बनाए रखने और उन्नत करने के लिए सुधारात्मक उपाय करने में पूरी तरह से विफल रहा है। हम पिछले 10 वर्षो से डीवीसी का ध्यान बांधों की गाद निकालने और ड्रेजिंग की जरूरत की ओर दिला रहे हैं। डीवीसी की विफलता के कारण बंगाल के लोगों को हर साल बार-बार बाढ़ का सामना करना पड़ता है।

मुख्यमंत्री ने लिखा, इसके अलावा, पश्चिम बंगाल सरकार को डीवीसी के अनियोजित निर्वहन, डीवीसी प्रबंधन की अपर्याप्तता व संरचनात्मक कमी का खामियाजा भुगतना पड़ता है। इसके चलते दक्षिण बंगाल के जिलों में लोगों को हुए नुकसान की भरपाई करनी होती है, वह भी अपने अल्प संसाधनों से, क्योंकि भारत सरकार/एनडीआरएफ द्वारा पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं कराया गया है।

इसी तरह, झारखंड सरकार के नियंत्रणाधीन सिकटिया बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण अजॉय नदी में बाढ़ आ गई।

इस संबंध में 4 अगस्त को लिखे गए एक पूर्व पत्र का जिक्र करते हुए, ममता ने कहा, मैंने उन संरचनात्मक कारकों पर प्रकाश डाला था, जो दक्षिणी बंगाल में गंभीर मानव निर्मित बाढ़ की स्थिति को बार-बार, दयनीय और दुखद रूप से जन्म देते हैं। भारत सरकार जब तक बुनियादी अंतर्निहित संरचनात्मक और प्रबंधकीय मुद्दों को अल्पावधि और दीर्घकालिक आधार पर हल नहीं करेगी, हमारे निचले तटवर्ती राज्य में आपदाएं निरंतर जारी रहेंगी।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि उन्हें अपने पिछले पत्र का कोई जवाब नहीं मिला है।

पत्र में कहा गया है, मैंने जो मुद्दे उठाए हैं, वे लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं और मैं भारत सरकार से बिना किसी देरी के कुछ गंभीर कार्रवाई करने का अनुरोध करती हूं।

इस वार्षिक समस्या के लिए तत्काल अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है, ताकि लोगों की पीड़ा कम हो और जीवन और संपत्ति के नुकसान के मामले में राष्ट्रीय नुकसान से बचा जा सके।

ममता ने आगे लिखा, मैं आपकी तरफ से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करती हूं, ताकि भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय से अनुरोध किया जाए कि वह पश्चिम बंगाल और झारखंड की सरकारों और डीवीसी के अधिकारियों के साथ मिलकर हमारे राज्य की साल दर साल की इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने में मदद करे।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.