नारदा स्टिंग मामले में ममता बनर्जी पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट, आज होगी सुनवाई
नारदा स्टिंग टेप मामले में सीबीआई ने तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं को गिरफ्तार किया था. जस्टिस हेमंत गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ मुख्यमंत्री, घटक और पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर अलग-अलग अपीलों पर सुनवाई करेगी.
highlights
- 2016 में हुआ था नारदा स्टिंग केस
- हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई कर रही जांच
नई दिल्ली:
नारदा स्टिंग मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं हैं. सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अपील पर सुनवाई करेगा, जिसमें कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें उन्हें और राज्य के कानून मंत्री मोलॉय घटक को 17 मई को अपनी भूमिका पर हलफनामा दाखिल करने से मना कर दिया गया था. नारदा स्टिंग टेप मामले में सीबीआई ने तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं को गिरफ्तार किया था. जस्टिस हेमंत गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ मुख्यमंत्री, घटक और पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर अलग-अलग अपीलों पर सुनवाई करेगी.
अधिवक्ता आस्था शर्मा के माध्यम से मुख्यमंत्री द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय का आदेश पर्याप्त न्याय के सभी सिद्धांतों के खिलाफ है, इस तथ्य के आलोक में कि सीबीआई न केवल एक तत्काल सूची प्राप्त करने में सक्षम थी, बल्कि उस पर रोक भी लगाई थी. विशेष सीबीआई न्यायाधीश द्वारा 17 मई को आदेश पारित किया गया, जिसमें आवश्यक हलफनामे के साथ कोई दलीलें दाखिल किए बिना, केवल एक ई-मेल के आधार पर, याचिकाकर्ता सहित संबंधित पक्षों को बिना किसी नोटिस के. शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह घटक द्वारा दायर अपील पर 22 जून को सुनवाई करेगी. नारदा स्टिंग टेप मामले को विशेष सीबीआई अदालत से उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने के लिए सीबीआई के आवेदन पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने 9 जून को कहा था कि वह ममता बनर्जी और घटक के हलफनामों पर बाद में विचार करेगी.
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क्या है नारदा स्टिंग मामला
मार्च 2016 में बंगाल में पिछले विधानसभा चुनावों के ठीक पहले नारद न्यूज़ के सीईओ मैथ्यू सैमुएल ने एक स्टिंग वीडियो जारी कर बंगाल की राजनीति में हलचल मचाई थी. इस वीडियो में वे एक कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर तृणमूल कांग्रेस के सात सांसदों, तीन मंत्रियों और कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चटर्जी को काम कराने के एवज़ में मोटी रकम देते नज़र आ रहे थे. दावा किया गया था कि इन्हें 2014 में बनाया गया था और इसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले व्यक्तियों को एक काल्पनिक कंपनी के नुमाइंदों से कैश लेते दिखाया गया था. यह मामला कलकत्ता हाई कोर्ट तक पहुंचा. मार्च, 2017 में कोर्ट ने स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच का आदेश दिया. सीबीआई और ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की थी.
नवंबर 2020 में ईडी ने टीएमसी नेताओं को भेजा नोटिस
पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस के कई नेता सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के रेडार पर थे. नवंबर 2020 में ईडी ने नारद स्टिंग ऑपरेशन में पूछताछ के लिए तीन टीएमसी नेताओं को नोटिस भेजकर डॉक्युमेंट मांगे थे. इनमें मंत्री फरहाद हाकिम, हावड़ा सांसद प्रसून बंदोपाध्याय और पूर्व मंत्री मदन मित्रा की आय और व्यय का हिसाब मांगा गया था.
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