Maldives Row: मालदीव में क्यों तैनात है भारतीय सेना? जानिए क्या है इसका काम

Maldives Row: भारत और मालदीव के संबंध इन दिनों अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे से दोनों देशों के बीच शुरु हुआ विवाद अब कूटनीतिक विवाद में तब्दील हो चुका है

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Mohit Sharma
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Maldives Row( Photo Credit : News Nation)

Maldives Row: भारत और मालदीव के संबंध इन दिनों अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे से दोनों देशों के बीच शुरु हुआ विवाद अब कूटनीतिक विवाद में तब्दील हो चुका है. मालदीव का चीन के प्रति झुकाव साफ नजर आ रहा है, जो भविष्य में भारत के साथ उसके रिश्तों में कड़वाहट घोलने का काम कर सकता है. पीएम मोदी का लक्षद्वीप दौरा और उनके द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर की गई वहां की तस्वीरों पर मालदीव के नेताओं के भोंडे बयान तो एक बानगी भर है. मालदीव की प्रो चाइना नीति का पता तो तभी चल गया था जब वहां हुए राष्ट्रपति चुनाव में मोहम्मद मुइज्जू (वर्तमान राष्ट्रपति) ने अपने चुनाव में 'इंडिया आउट' कैंपेन चलाया था. उन्होंने अपने चुनावी भाषणों में छाती ठोककर कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति बने तो मालदीव में तैनात भारतीय सेना को बाहर का रास्ता दिखा देंगे. 

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मालदीव में भारतीय सेना क्यों

यही नहीं मुइज्जू ने राष्ट्रपति बनने के बाद भारत से अपनी सेना वापस बुलाने के लिए भी कह दिया था. लेकिन इस बीच लोगों के मन में बड़ा सवाल यह है कि आखिर भारतीय सेना मालदीव में क्यों है और उसका वहां काम क्या है.  दरअसल, भारतीय सेना वहां मालदीव के बुलावे पर पहुंची थी. सन् 1988 में वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम ने भारतीय सेना को बुलाया था. क्योंकि मालदीव सामरिक नजरिए से भारत के लिए बड़े मायने रखता है. इसलिए भारत किसी भी कीमत पर मालदीव से रिश्ते खराब नहीं करने चाहता और उसके लिए हर समय मदद के लिए तैयार भी रहता है. 

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भारत ने ऐसे बचाया मालदीव में तख्तापलट

मालदीव में भारतीय सेना के जाने की शुरुआत उस समय हुई, जब 1988 में मालदीव की आंतरिक कलह के चलते तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम के खिलाफ साजिश चल रही थी. इस साजिश के तहत मालदीव के व्यापारी नेता अब्दुल्ला लुथूफी अपने साथियों के साथ तख्तापलट की तैयारी कर रहे थे.  तभी अब्दुल्ला लुथूफी श्रीलंका के चरमपंथी संगठन प्लोट के लड़ाकों के साथ मिलकर मालदीव पर कब्जा जमाना चाह रहे थे. इस साजिश के तहत ये लड़ाके राष्ट्रपति मौमून को घेरने के लिए मालदीव में घुस चुके थे. तब राष्ट्रपति मौमून ने एक सेफ हाउस में छिपकर भारत को फोन मिलाया और सुरक्षा की गुहार लगाई. तभी भारत की राजीव गांधी सरकार ने मालदीव को बचाने के लिए भारतीय सेना की एक टुकड़ी वहां भेजी. भारतीय सेना ने मालदीव पहुंचकर विद्रोहियों का दमन किया.  

मालदीव में भारतीय सैनिकों की संख्या 70 के करीब

मौजूदा समय में मालदीव में भारतीय सैनिकों की संख्या करीब 70 के आसपास है.  इन सैनिकों के पास टोही विमान है. ये विमान हिंद महासागर में निगरानी करते हैं. इसके साथ ही भारतीय सैनिक मालदीव में राहत व बचाव कार्य का काम करते हैं. 

Source : News Nation Bureau

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