दो बार अयोध्या गए थे महात्मा गांधी, पुजारी से जताई थी यह इच्छा

1921 को महात्मा गांधी ने लखनऊ में खिलाफत सभा में भाषण दिया. यहीं से वह अयोध्या भी पहुंचे थे. महात्मा गांधी की इस यात्रा का विवरण 'गांधी वाड्मय' खंड-19, पेज 461 पर दिया गया है. यह 'नवजीवन' अखबार में 20 मार्च 1921 को छपा था. बापू ने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय व्यस्तता के बीच अयोध्या के लिए भी समय निकाला था

1921 को महात्मा गांधी ने लखनऊ में खिलाफत सभा में भाषण दिया. यहीं से वह अयोध्या भी पहुंचे थे. महात्मा गांधी की इस यात्रा का विवरण 'गांधी वाड्मय' खंड-19, पेज 461 पर दिया गया है. यह 'नवजीवन' अखबार में 20 मार्च 1921 को छपा था. बापू ने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय व्यस्तता के बीच अयोध्या के लिए भी समय निकाला था

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Kuldeep Singh
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दो बार अयोध्या गए थे महात्मा गांधी, पुजारी से जताई थी यह इच्छा

प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का श्रीराम और अयोध्या से गहरा लगाव रहा है. 'रघुपति राघव राजा राम' के जिस भजन को वह हमेशा गुनगुनाते थे वह राम के प्रति उनकी श्रद्धा को दिखाता है. उनकी रामभक्ति और रामराज्य के आदर्श से पूरी दुनिया प्रेरणा लेती है. महात्मा गांधी अपने जीवनकाल में दो बार अयोध्या गए थे. उन्होंने सरयू में स्नान भी किया था.

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गांधी वाड्मय में भी अयोध्या यात्रा का उल्लेख
1921 को महात्मा गांधी ने लखनऊ में खिलाफत सभा में भाषण दिया. यहीं से वह अयोध्या भी पहुंचे थे. महात्मा गांधी की इस यात्रा का विवरण 'गांधी वाड्मय' खंड-19, पेज 461 पर दिया गया है. यह 'नवजीवन' अखबार में 20 मार्च 1921 को छपा था. बापू ने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय व्यस्तता के बीच अयोध्या के लिए भी समय निकाला था. चौरी-चौरा कांड की हिंसा के विरोध में बापू राष्ट्रव्यापी दौरा के क्रम में 20 फरवरी 1921 को रामनगरी पहुंचे और इसी दिन सूरज ढलने तक उन्होंने जालपादेवी मंदिर के करीब के मैदान में सभा की.

फैजाबाद के धारा रोड स्थित बाबू शिवप्रसाद की कोठी में रात्रि गुजारने के बाद बापू अगले दिन यानी 22 फरवरी की सुबह रामनगरी पहुंचे और सरयू स्नान कर अपनी आस्था का इजहार किया. हालांकि, एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए गांधी ने कहा कि उन्होंने सबसे दृढ़ता से और असमान रूप से हिंसा की निंदा की, और कहा कि वह इसे भगवान और मनुष्य के खिलाफ पाप मानते हैं. गांधी जी 1929 में विभिन्न प्रांतों का दौरा करते हुए दूसरी बार भी अयोध्या आगमन के मोह से नहीं बच सके. इस बार उन्होंने मोतीबाग में सभा की.

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महात्मा गांधी ने अयोध्या यात्रा का यह दिया था वर्णन
अयोध्या में जहां रामचंद्र जी का जन्म हुआ, कहा जाता है, उसी स्थान पर छोटा सा मंदिर है. जब मैं अयोध्या पहुंचा तो वहां मुझे ले जाया गया. श्रद्धालुओं ने मुझे सुझाव दिया कि में पुजारी से विनती करूं कि वह सीताराम की मूर्तियों के लिए पवित्र खादी का उपयोग करें. मैंने विनती तो की लेकिन इस बात पर शायद ही अमल हुआ हो. जब मैं दर्शन करने गया तो मूर्तियों को भौंडी मलमल और जरी के वस्त्रों में पाया. अगर मुझमें तुलसीदास जी जितनी गाढ़ भक्ति की सामर्थ्य होती तो मैं भी उस समय तुलसीदास जी की तरह हठ पकड़ लेता.

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अयोध्या आए पर मंदिर नहीं गए गांधी: इतिहासकार

महात्मा गांधी के राममंदिर में दर्शन को लेकर इतिहासकारों के विचार कुछ अलग हैं. इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी पुस्तक 'द इयर्स चैट चेंजेड द वर्ल्ड' में भी महात्मा गांधी के आगमन का जिक्र करते हुए लिखा है कि गांधी जी ने अयोध्या आकर सरयू स्नान तो किया लेकिन किसी भी मंदिर में दर्शन पूजन करने नहीं गए. उन्होंने कभी भी राममंदिर मुद्दे पर कुछ नहीं बोला.

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सरयू में भी विसर्जित हुईं थीं बापू की अस्थियां
महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद उनकी अस्थियों को देश की विभिन्न चुनिंदा नदियों में विसर्जित किया गया था. सरयू भी उन चुनिंदा नदियों में से एक थी जिसमें बापू की अस्थियां विसर्जित की गई. बापू के निधन के कुछ दिनों बाद आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने डॉ. राजेंद्र प्रसाद कई अन्य कांग्रेस पदाधिकारियों के साथ बापू की अस्थियां लेकर अयोध्या आए और सरयू में विसर्जित किया.

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