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महाराष्ट्र: सोमवार तक पेश करें राज्यपाल का आदेश और फडणवीस द्वारा दिया गया समर्थन पत्र- सुप्रीम कोर्ट

रविवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार तक राज्यपाल के आदेश को पेश करने का नोटिस दिया है. ये नोटिस केंद्र सराकर, महाराष्ट्र सरकार, सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार को दिया गया है.

Updated on: 24 Nov 2019, 01:15 PM

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने याचिका दाखिल करते हुए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराए जाने की मांग की है. तीनों दलों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को सुनवाई की. इस दौरान मुकुल रोहतगी बीजेपी की तरफ से पेश हुए थे. वहीं शिवसेना की तरफ कपिल सिब्बल और कांग्रेस एनसीपी की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी दलील देने के लिए कोर्ट में पेश हुए थे. रविवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार तक राज्यपाल के आदेश को पेश करने का नोटिस दिया है. ये नोटिस केंद्र सराकर, महाराष्ट्र सरकार, सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार को दिया गया है.

इसी के साथ कोर्ट ने फडणवीस की ओर से पेश किए समर्थन का लेटर भी पेश करने का आदेश दिया है. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दी है. इससे पहले सुनवाई के दौरान सिब्बल ने महाराष्ट्र में तेजी से बदले सियासी घटनाक्रम की जानकारी देते हुए कहा, कुल 288 सदस्य हैं. पहले गवर्नर ने बीजेपी को आमंत्रित किया, उन्होंने मना किया तो एनसीपी को. इसके बाद शिवसेना को. कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना का पक्ष रख रहे कपिल सिब्बल ने कहा राज्यपाल के पास विशेषाधिकार हैं, लेकिन ये विशेषाधिकार संविधानिक परंपराओं और सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों के दायरे में आएंगे. कपिल सिब्बल ने राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी के फैसले पर अंगुली उठाई. कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल का फैसला बदनीयती, मनमानी और पक्षपात से भरा है. कपिल सिब्बल ने कहा, गवर्नर के रवैये से ऐसा लगता है कि वह किसी के निर्देशों के मुताबिक काम कर रहे थे. अगर वह फडणवीस के बहुमत के दावे को लेकर आश्वस्त हैं तो आज ही फ़्लोर टेस्ट होने के लिए कहा जाना चाहिए. उऩ्होंने कहा, गवर्नर ने बिना कैबिनेट की मीटिंग के राष्ट्रपति शासन को वापस लेना का फैसला ले लिया.

कपिल सिब्बल ने महाराष्ट्र के राज्यपाल की नीयत पर शक जताने के बाद अपनी जिरह में कहा, उसके बाद 8 बजे शपथ दिला दी गई. कोई ऐसा डॉक्युमेंट नहीं है, जिसकी बिनाह पर फडणवीस बहुमत साबित कर रहे हों. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि बीजेपी के तरफ से कब बताया गया कि उनके पास पर्याप्त समर्थन है? इस पर शिवसेना के वकील कपिल सिब्बल - किसी को कुछ नहीं पता, ये नहीं बताया गया. सिब्बल ने 2018 के कर्नाटक मामले में दिए गए आदेश का हवाला दिया.

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वहीं इसके बाद बीजेपी की ओर से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कहा- रविवार को सुनवाई क्यों? इसमें किसी विधायक के मूल अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ. उन्होंने कहा, तीन राजनीतिक पार्टी कैसे आर्टिकल 32 के तहत इसमे याचिका दायर कर सकते है.

इसके बाद मनु सिंघवी ने दलील रखते हुए कहा, राज्यपाल का ये दायत्व बनता है कि वो प्रथम दृष्टया लिखित दस्तावेजों के आधार पर बहुमत के लिए आश्वस्त हो. दस्तावेजों पर बकायदा हस्ताक्षर होने चाहिए. गवर्नर को फिजिकल वेरिफिकेशन करना चाहिए. लेकिन गवर्नर की ओर से ऐसी कोई कवायद नहीं हुई. कोर्ट ने पूछा कि क्या आपका ये कहना है कि गवर्नर के सामने बहुमत साबित करने के लिये कोई मटेरियल ही नहीं था. इस पर सिंघवी ने कहा- नहीं. सिंघवी ने कहा, सिंघवी -NCP ने प्रस्ताव पास कर अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया है. हमने 54 में से 41 NCP विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को भेज दिया है. ये साबित करता है कि बीजेपी द्वारा NCP विधायकों के समर्थन का दावा गैरकानूनी है. सिंघवी ने बोमई फैसले का हवाला दिया. कहा- फ़्लोर टेस्ट सबसे बेहतर तरीका है, बहुमत साबित करने का. सिंघवी ने कहा- उत्तराखंड, झारखंड, गोवा, कर्नाटक इन सब मामलो में कोर्ट के आदेश का आशय साफ था कि जल्द से जल्द फ़्लोर टेस्ट होना चाहिए. उन्होंने कहा, सिंघवी ने कहा- उत्तराखंड, झारखंड, गोवा, कर्नाटक इन सब मामलो में कोर्ट के आदेश का आशय साफ था कि जल्द से जल्द फ़्लोर टेस्ट होना चाहिए.

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इसके बाद रोहतगी ने दलील देते हुए कहा, इस मामले में नोटिस जारी होना चाहिये, respondents को जवाब देने के लिए वक़्त दिया जाना चाहिए, इतनी जल्दी क्या है. रोहतगी ने कहा, राज्यपाल द्वारा किसी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का फैसला, आर्टिकल 361 के तहत विशेषाधिकार के दायरे में आता है. उसकी न्यायिक समीक्षा संभव नहीं. उन्होंने कहा, आर्टिकल 361 के तहत इस तरह के फैसले लेने के लिये उसकी कोई जवाबदेही कोर्ट के प्रति नहीं बनती है. रोहतगी ने आगे कहा कि याचिका में तो कुछ भी मांगा जा सकता है, उसकी कोई सीमा नहीं. पर क्या गवर्नर को कहा जा सकता है कि वो किसी A, B,C, D को आमंत्रित करे. जस्टिस रमना ने चुटकी लेते हुए कहा कि कल को कोई ये मांग भी लेकर आ सकता है कि मुझे PM बना दिया जाए.

इसके बाद मामले पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस रमना ने कहा, आप जो कह रहे है, वो पहले से ही settled law है, यहां इशू सिर्फ फ़्लोर टेस्ट का है. जस्टिस भूषण ने कहा, हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि गवर्नर ने क्या आदेश दिया. उन्हें बहुमत का दावे वाला लेटर कब दिया गया. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार तक गवर्नर का आदेश पेश करने को कहा. तुषार मेहता से कहा कि कल साढ़े दस बजे तक गवर्नर का आदेश पेश करें. गवर्नर के आदेश को देखने के बाद कोर्ट आगे फ़्लोर टेस्ट की मांग पर फैसला लेगा