महाराष्ट्र: अब संवैधानिक पीठ करेगी शिवसेना विवाद का निपटारा? CJI ने दिये संकेत
महाराष्ट्र की सियासत और शिवसेना को लेकर बने गतिरोध में सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई हुई, चीफ जस्टिस एन वी रमना की तीन सदस्यीय पीठ ने उद्धव और शिंदे ग्रुप की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि इस मामले को बड़ी संवैधानिक पीठ के पास सुनने...
highlights
- संवैधानिक पीठ के पास जा सकता है विवाद
- सीजेआई ने दिये संकेत
- दोनों तरफ से वकीलों ने पेश की वकील
नई दिल्ली:
महाराष्ट्र की सियासत और शिवसेना को लेकर बने गतिरोध में सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई हुई, चीफ जस्टिस एन वी रमना की तीन सदस्यीय पीठ ने उद्धव और शिंदे ग्रुप की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि इस मामले को बड़ी संवैधानिक पीठ के पास सुनने की आवश्यकता लग रही है, हालांकि इस बारे में विचार करने से पहले सभी पक्षों से लिखित में उनकी दलीलें हलफनामे पर देने का आदेश दिया, ताकि सभी पक्षों की दलीलों का संकलन हो सके. अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक उद्धव ठाकरे गुट के खिलाफ कोई करवाई नहीं होगी, इस पर राज्यपाल की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि उद्धव ठाकरे ग्रुप के खिलाफ कोई कारवाई नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट में 5 याचिकाओं पर हुई सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उद्धव और शिंदे ग्रुप की पांच याचिकाओं पर सुनवाई हुई, शुरुआत में उद्धव ग्रुप की ओर से कपिल सिब्बल और मनु अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि जब मामला कोर्ट में लंबित था तो शिंदे ग्रुप ने नए स्पीकर कैसे नियुक्त किए, ये गैर कानूनी है. इसके अलावा शिव सेना के व्हिप का उल्लंघन भी अयोग्यता के दायरे में आता है. इसके बाद स्पीकर ने दूसरे ही दिन ठाकरे गुट के विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी कर दिया. ये तमाम कदम असंवैधानिक हैं. यह भी देखना चाहिए कि शिव सेना और उद्धव ठाकरे से बगावत करने वाले विधायक अयोग्य हैं या नहीं! दलबदल कानून को बदल दिया गया है, जो कानून पार्टी को टूटने से रोकने के लिए बनाया गया, अब उसी का इस्तेमाल पार्टी तोड़ने के लिए हो रहा है.
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अयोग्यता का नियम लागू ही नहीं होता
वहीं शिंदे ग्रुप ओर से हरीश साल्वे ने दलील दी की अयोग्यता के नियम शिंदे मामले में लागू नहीं होता क्योंकि अगर किसी पार्टी में दो धड़े होते है और जिसके पास ज्यादा संख्या होती है वो कहता है कि मैं अब लीडर हूं. उसकी बात को स्पीकर भी स्वीकार करता है, तो ये अयोग्यता के श्रेणी में कैसे आएगा.
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