महाराष्ट्र में 'लेटर वॉर': मंदिर के मसले पर फिर घिरी उद्धव सरकार
मंदिर खोलने को लेकर शुरू हुए 'लेटर वॉर' के बाद बीजेपी भी इस मसले को अपने लिए एक सुनहरा मौका मान रही है, जब शिवसेना के हिंदुत्व के एजेंडे को चुनौती दी जा सकती है.
मुंबई:
महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार की सिरमौर शिवसेना के लिए अब उसका हिंदुत्व वोट बैंक बचाए रखना ही भारी चुनौती साबित हो रहा है. महाराष्ट्र (Maharashtra) में मंदिर खोलने के मुद्दे पर शिवसेना (Shivsena) के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Udhav Thackeray) और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat singh Koshyari) के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. मंदिर खोलने को लेकर शुरू हुए 'लेटर वॉर' के बाद बीजेपी भी इस मसले को अपने लिए एक सुनहरा मौका मान रही है, जब शिवसेना के हिंदुत्व के एजेंडे को चुनौती दी जा सकती है. इस बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के जरिये कोश्यारी पर निशाना साधा है. सामना में लिखा गया है, 'बीजेपी (BJP) का पेट दुख रहा है इसलिए संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को भी प्रसव पीड़ा हो, ये गंभीर है.'
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'उद्धव सरकार ने हिलाया राजभवन'
मंदिर खोलने के संबंध में राज्यपाल कोश्यारी की ओर से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखी गई चिट्ठी के बाद शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में लिखा गया है, 'महाराष्ट्र में बार और रेस्टॉरेंट खुल गए हैं. लेकिन प्रार्थना स्थल क्यों बंद हैं? आपको मंदिरों को बंद रखने के लिए कोई दैवीय संकेत मिल रहा है क्या? या आप अचानक सेक्युलर हो गए हैं? ऐसा सवाल राज्यपाल ने पूछा था. इस पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल की धोती ही पकड़ ली और उनके राजभवन को हिलाकर रख दिया.'
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बीजेपी चाहती है सूबे में खुलें मंदिर
गौरतलब है कि राज्य में धार्मिक स्थलों को खोलने को लेकर राज्यपाल कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी, उसके बाद नया विवाद शुरू हो गया है. दरअसल, बीजेपी महाराष्ट्र में मंदिर खोलने के लिए आंदोलन कर रही है. राज्यपाल ने अपनी चिट्ठी में मुख्यमंत्री के हिंदुत्व पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि 'क्या आप अचानक से सेक्युलर हो गए?' राज्यपाल की ऐसी भाषा पर शिवसेना और कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. शिवसेना राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस मामले में चिट्ठी लिखकर उनसे राज्यपाल कोश्यारी को हटाने की गुजारिश कर सकती है.
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शिवसेना के हिंदुत्व पहचान को बीजेपी ने ललकारा
ऐसे में महाराष्ट्र में कोरोना महामारी के चलते बंद पड़े धर्मस्थलों को खुलवाने को लेकर सियासत तेज हो गई है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और सीएम उद्धव ठाकरे के 'लेटर वॉर' के बीच बीजेपी इसे अपने लिए 'सुनहारा मौका' मान रही है, क्योंकि राजनीतिक जानकारों की मानें तो मंदिरों को खुलवाने को लेकर हो रही लड़ाई से शिवसेना के हिंदुत्व की साख दांव पर है, ऐसे में बीजेपी हर हाल में इस मुद्दे को और ज्यादा भुनाने की कोशिश कर रही है. वजह यह है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भले ही शरद पवार की अगुवाई वाले एनसीपी और कांग्रेस के साथ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार का नेतृत्व किया है, लेकिन वह समय-समय पर शिवसेना के भगवा एजेंडे को पुनर्जीवित करते रहते हैं.
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राम मंदिर शिलान्यास समारोह में जाना चाहते थे उद्धव
शिवसेना से जुड़े एक नेता के मुताबिक, अयोध्या में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का शिलान्यास किया था, तब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे शिलान्यास समारोह में भाग लेने के लिए उत्सुक थे. हालांकि वह इस समारोह में नहीं जा सके थे. सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के नवंबर में किसी समय अयोध्या जाने की संभावना है, क्योंकि उद्धव ठाकरे को लगता है कि समय-समय पर वह हिंदुत्व का बिगुल फूंककर बीजेपी को परेशानी में रख सकते हैं.
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