किसी किसान द्वारा महाराष्ट्र में आत्महत्या के सामने आए पहले मामले की याद में रविवार को राज्य के लाखों किसान उपवास रखेंगे। किसानों द्वारा आत्महत्या का पहला मामला 19 मार्च, 1986 को सामने आया था। किसान अधिकारों के लिए काम करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता ने यह जानकारी दी।
किसानपुत्र आंदोलन के नेता अमर हबीब के मुताबिक, 'आज से ठीक 31 साल पहले एक किसान साहेबराव कार्पे ने खेती के लिए लिया कर्ज न चुका पाने के कारण पत्नी और चार बच्चों सहित खुदकुशी कर ली थी। महाराष्ट्र में किसी किसान द्वारा खुदकुशी का यह पहला मामला था, जो यवतमाल के चीलग्वहान में घटा था।'
उस समय प्रख्यात किसान नेता और शेतकारी संगठन के संस्थापक दिवंगत शरद जोशी उस गांव के दौरे पर आए थे और चेतावनी दी थी कि यदि सरकार ने तत्काल कुछ नहीं किया तो राज्य और देश में किसानों द्वारा खुदकुशी एक चलन बन जाएगी।
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हबीब ने कहा, 'कार्पे और उसके परिवार वालों की मौत के बाद भी राज्य में किसानों की खुदकुशी नहीं रुकी और राज्य में औसतन रोज नौ किसान कर्ज के चलते खुदकुशी करते हैं। महाराष्ट्र में पिछले 31 वर्षो में 67,000 किसान आत्महत्या कर चुके हैं, जिसमें महिलाएं और युवा भी शामिल हैं।'
उन्होंने कहा कि रविवार को किसानों द्वारा स्वत: किया जा रहा उपवास राज्य में और देश के अन्य हिस्सों में किसानों की स्थिति की ओर ध्यान खींचेगी और किसानों की समस्या के समाधान की दिशा में तत्काल कदम उठाने के लिए सरकार की संवेदनाओं को झिंझोड़ेगी।
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Source : IANS