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महाराष्ट्र राष्ट्रपति शासन की ओर तो नहीं बढ़ रहा, इन बयानों का अर्थ तो यही निकल रहा

शरद पवार और संजय राउत के बयान से ऐसा लग रहा है कि अभी सियासी संकट दूर करने के लिए कोई समझौता मूर्तरूप नहीं ले सका है. ऐसे में तय सीमा के भीतर सरकार गठित नहीं होने से राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है.

Updated on: 11 Nov 2019, 11:28 AM

highlights

  • शरद पवार और संजय राउत के बयानों से राष्ट्रपति शासन को मिला बल.
  • शरद पवार ने कांग्रेस से चर्चा के बाद ही पत्ते खोलने के दिए संकेत.
  • संजय राउत ने सरकार गठन के लिए कम समय देने को बताया साजिश.

New Delhi:

महाराष्ट्र में जारी सियासी उठापटक के बीच ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि सूबा राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है. एनसीपी की मदद से सरकार बनाने को आतुर शिवसेना को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सर्वेसर्वा शरद पवार ने यह कह कर झटका दिया है कि कांग्रेस से चर्चा के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा. इससे सरकार बनने के कयासों को थोड़ा धक्का लगा है. इस बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने सरकार गठन के लिए कम समय दिए जाने को बीजेपी की साजिश करार दिया है. यह संकेत भी यही कहता है कि शिवसेना को भी लग रहा है कि जल्द समाधान नहीं निकलने से राज्य की बागडोर केंद्र के हिस्से जा सकती है.

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शिवसेना की आतुरता से बिगड़े हालात
हरियाणा के विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद बीजेपी ने जिस तरह जेजेपी के दुष्यंत चौटाला का साथ लेकर तुरत-फुरत सरकार बनाई, वह तेजी महाराष्ट्र में कतई दिखाई नहीं पड़ी. उलटे सियासी मोलभाव पर उतरी शिवसेना को बीजेपी ने इस हद तक बौखलाहट से भर दिया कि वह एनसीपी से गठबंधन की बात करने लगी. हुआ भी ऐसा ही. शिवसेना के लिए सीएम पद पर अड़ा नेतृत्व खासकर संजय राउत शरद पवार से मुलाकात करने जा पहुंचे. इस बीच बीजेपी ने सरकार के गठन पर अपने पत्ते नहीं खोले और रविवार देर रात राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी से मिलकर अकेलेदम सरकार के गठन में असमर्थता जता दी.

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एनसीपी की सभी शर्तें मानने को आतुर शिवसेना
इसके बाद राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया और सोमवार शाम तक समय दिया. शिवसेना ने इस मौके का फायदा उठाने के लिए आनन-फानन में एनसीपी की वह शर्त भी मान ली, जिसमें कहा गया था कि एनसीपी से समर्थन मांगने से पहले शिवसेना बीजेपी से हर तरह के संबंध विच्छेद करे. नतीजतन केंद्रीय मंत्रिमंडल में शिवसेना के एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत ने बीजेपी को झूठा करार देते हुए सोमवार को इस्तीफे का ऐलान कर दिया. कुछ देर बाद संजय राउत ने भी बीजेपी के सरकार नहीं बनाने को सूबे की जनता के साथ विश्वासघात करार देने में देर नहीं की.

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एनसीपी भी ढील देकर लड़ा रही पेंच
इधर एनसीपी के शरद पवार ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि शिवसेना को समर्थन देने का फैसला कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से विस्तार से चर्चा के बाद ही किया जाएगा. अंदरखाने से यह खबर भी आ रही है कि एनसीपी ने शिवसेना से कहा है कि समर्थन के लिए कम से कम कोई साझा एजेंडा तो लेकर आए. इसे एक झटका माना जा सकता है. शरद पवार और संजय राउत के बयान से ऐसा लग रहा है कि अभी सियासी संकट दूर करने के लिए कोई समझौता मूर्तरूप नहीं ले सका है. ऐसे में तय सीमा के भीतर सरकार गठित नहीं होने से राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है.