मराठा आरक्षण को बॅाम्बे हाईकोर्ट ने तत्काव स्थगित करने से इंकार कर दिया है. अब इसपर अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी. इस मामले में मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील और न्यायमूर्ति मकरंद कर्णिक के खंडपीठ ने सुनवाई की. कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील गुणरत्न सदावर्तें की तरफ से आरक्षण को स्थगित करने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि नौकरी और महाविद्यालय में मराठा समाज को आरक्षण देने पर बड़ी गड़बड़ी हो सकती है.
याचिका में ये भी कहा गया है कि 2 लाख लोग मेडिकल में प्रवेश के लिए अर्जी देंगे , राज्य सरकार की तरफ से 76000 पदों को भर्ती करने के लिए घोषणा की गई है. मराठा आरक्षण देने से इसमें गड़बड़ हो सकता है .
10 दिसंबर को बाम्बे हाई कोर्ट में मराठा आरक्षण को लेकर होने वाली सुनवाई के साथ-साथ इस याचिका पर भी सुनवाई होगी. फिलहाल मराठा आरक्षण को तत्काल स्थगित करने से इनकार करके हाई कोर्ट ने मराठा आरक्षण को बड़ी राहत दी है.
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बता दें कि महाराष्ट्र में राजनीतिक रूप से प्रभुत्व मराठा समुदाय की राज्य में 30 फीसदी आबादी है जो सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 16 फीसदी आरक्षण देने की मांग लंबे समय से कर रही थी.
पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में मराठा समुदाय को 'सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़े नागरिक' के तौर पर पहचाना गया था जिनका सरकारी और अर्द्ध-सरकारी सेवाओं में बहुत कम प्रतिनिधित्व बताया गया.
गौरतलब है कि सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर कई संगठनों ने जेल भरो आंदोलन शुरू कर दिया था. इस आंदोलन को लेकर महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाकों में हिसां भी देखने को मिली थी.
Source : News Nation Bureau