महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को घोषणा की कि वह अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं और पार्टी प्रमुख का पद भी छोड़ देंगे, बशर्ते बागी उनसे आमने-सामने बात करें। उन्होंने इस बात को नकार दिया कि पार्टी ने बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व को त्याग दिया है।
मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बागियों का समूह इस समय असम में है। ठाकरे ने वर्तमान स्थिति पर अफसोस जताते हुए कहा, मेरे अपने (शिवसैनिक) मुझे सीएम के रूप में नहीं देखना चाहते तो मैं पद छोड़ने के लिए तैयार हूं।
ठाकरे ने कहा, लेकिन उनसे यह बात कहने के लिए हम सूरत या किसी अन्य स्थान पर क्यों जाएं। शिंदे यहीं पर आकर मुझे बता सकते थे कि वह क्या चाहते हैं, मैं तुरंत पद छोड़ देता।
उन्होंने कहा कि जब से (सोमवार की देर रात) राजनीतिक संकट खड़ा हुआ है, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार और कांग्रेस पर्यवेक्षक कमलनाथ दोनों ने उन्हें स्पष्ट रूप से कहा कि वे उनका पूरा समर्थन करते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी नियमित रूप से उनसे बात करती हैं।
ठाकरे ने कहा, आज, मेरे अपने शिवसैनिक नहीं चाहते कि मैं सीएम के रूप में बना रहूं। इसलिए, मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं, वर्षा (आधिकारिक सीएम निवास) छोड़कर अपने मातोश्री (निजी घर) चला जाऊंगा। मैं शिवसेना अध्यक्ष का पद छोड़ने के लिए भी तैयार हूं। मुझे बहुत खुशी होगी, अगर कोई और शिवसैनिक मुख्यमंत्री बनता है।
यह कहते हुए कि वह अपना त्यागपत्र लिखेंगे, उन्होंने बागियों से आग्रह किया - जो गायब हो गए हैं या गायब कर दिए गए हैं, वे राजभवन में आकर अपना त्यागपत्र दें।
ठाकरे ने जोर देकर कहा, शिवसेना के किसी भी बागी विधायक को आने दें और मुझसे आमने-सामने होकर कहें कि हम आपको नहीं चाहते हैं। सोशल मीडिया पर नहीं। वे आ सकते हैं और मेरा इस्तीफा राजभवन ले जा सकते हैं, क्योंकि मैं कोविड-19 से पीड़ित हूं।
उन्होंने कहा कि अक्टूबर-नवंबर, 2019 में जब शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस गठबंधन से महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का जन्म हुआ, उस समय उसे अंतिम रूप देने के बाद शरद पवार ने उनसे निजी तौर पर बात की थी।
ठाकरे ने कहा, पवार साहब ने मुझसे कहा था कि मुझे (सीएम की) जिम्मेदारी लेनी होगी, वरना एमवीए गठबंधन को जारी रखना मुश्किल होगा। मैंने कहा कि मुझे ऐसी चीजों का कोई अनुभव नहीं है, लेकिन उन्होंने जोर दिया और मैं सहमत हो गया, क्योंकि कोई और विकल्प नहीं था। मैं न तो सत्ता का भूखा था और न ही मैंने एमवीए भागीदारों का विश्वास खोया है।
सीएम ने कहा, अब, अगर शिसैनिक मुझे नहीं चाहते हैं, तो मैं सरकार और पार्टी छोड़ने के लिए तैयार हूं। डरने की कोई बात नहीं है, मुझे सीएम पद का कोई लालच नहीं है। शर्मिदा होने की भी बात नहीं है। मैं किसी मजबूरी के अधीन नहीं हूं। लेकिन आओ और मुझसे बात करो।
शिंदे और अन्य बागियों के इस तर्क को खारिज करते हुए कि उन्होंने हिंदुत्व छोड़ दिया है, ठाकरे ने यह इंगित करते हुए पलटवार किया कि पिछले हफ्ते (15 जून) आदित्य ठाकरे, शिंदे और राउत और अन्य कैसे अयोध्या गए थे।
उन्होंने कहा, मैंने कहां गलती की है। मैं हिंदुत्व पर बोलने वाला पहला सीएम था? हिंदुत्व हमारी सांस में है और हमारे खून में है। 2014 में शिवसेना के 63 विधायक केवल हिंदुत्व के आधार पर चुने गए थे। हम बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व को आगे बढ़ा रहे हैं, यह उनके बाद भी जारी रहा है और कल भी जारी रहेगा।
यह कहते हुए कि उन्होंने महाराष्ट्र परिवार के मुखिया के रूप में ढाई साल तक मुख्यमंत्री के रूप में अच्छा काम किया, उन्होंने कहा कि लोगों को उनके पदों से नहीं, बल्कि उनके योगदान से याद किया जाता है।
ठाकरे ने कहा, संख्या क्या है, यह कोई चुनौती भी नहीं है। मुझे केवल एक चीज चाहिए, वह है आपका प्यार।
इस बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के सांसद सैयद इम्तियाज जलील ने ठाकरे की ईमानदारी की प्रशंसा की, वहीं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रवक्ता संदीप देशपांडे ने सीएम की दलील को खारिज करते हुए कहा कि शिवसैनिक भावुक हो सकते हैं, लेकिन वे मूर्ख नहीं हैं।
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Source : IANS