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किसान आंदोलन के खिलाफ सोनीपत में महापंचायत, रास्ता खाली करने की दी चेतावनी

दिल्ली के सीमाओं पर कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ अब दिल्ली देहात व बॉर्डर से सटे हरियाणा के गांवों के लोग लामबंद होने लगे हैं. किसान आंदोलन के खिलाफ दिल्ली सहित हरियाणा से सटे दर्जनों गांव के लोगों ने महापंचायत की.

Updated on: 21 Jun 2021, 09:44 AM

highlights

  • महापंचायत में सोनीपत के 24 और दिल्ली के 15 गांव के प्रतिनिध हुए शामिल
  • आंदोलनकारियों एवं सरकार को एक सप्ताह का दिया अल्टीमेटम
  • रास्ता खाली नहीं किया तो बड़े आंदोलन की दी चेतावनी

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर करीब सात महीने से चल रहे किसान आंदोलन के कारण होने वाली परेशानियों को लेकर राष्ट्रवादी परिवर्तन मंच ने रविवार को महापंचायत का आयोजन किया. यह महापंचायत हेमंत नांदल अध्यक्षता में आयोजित की गई. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन से होने वाली परेशानियों को लेकर राष्ट्रवादी परिवर्तन मंच द्वारा करीब दो महीने से एक रास्ते की मांग की जा रही हैं, लेकिन उनकी मांगों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया. इन समस्याओं से निजात पाने के लिए महापंचायत में सर्व सहमती से आंदोलनकारियों एवं सरकार को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया गया. 

महापंचायत में साफ कहा गया कि अगर आगामी सप्ताह में प्रशासन और प्रदेश सरकार द्वारा एक तरफ का रास्ता खाली नहीं किया जाता है तो आगे होने वाली परिस्थितियों के लिए आंदोलनकारी और प्रदेश सरकार ही जिम्मेदार होंगे. महापंचायत में सोनीपत के करीब 24 गांव, दिल्ली के 15 गांव के प्रतिनिधि व आसपास के अलग-अलग क्षेत्रों के करीब 700 की संख्या में प्रभावित लोग एकत्रित हुए. दरअसल ये गांववाले किसान आंदोलन की आड़ में हो रही आपराधिक वारदातों से नाराज हैं. महापंचायत में हिंसक घटनाओं के विरोध के साथ साथ बॉर्डर को एक तरफ खुलवाने की भी मांग  की जा रही है. पिछले करीब सात महीने से किसानों का दिल्ली के बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन चल रहा है, इस दौरान टिकरी बॉर्डर पर एक शख्स को ज़िंदा जलाने और एक लड़की के साथ रेप का आरोप लगा है.

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हटाए जाएं बैरिकेट्स
महापंचायत को लेकर दावे किए जा रहे हैं कि किसानों की तरफ से लगातार बॉर्डर पर हिंसा बढ़ी है, छुटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो कई बार देखने को मिला है कि आसपास के लोगों के साथ किसानों की भिड़ंत हुई है. उन्होंने कहा कि हिंसा तत्काल बंद होनी चाहिए और बैरिकेट्स हटाए जाने चाहिए.

काम-धंधा चौपट होने का आरोप
इस महापंचायत के आयोजन से जुड़े संदीप ने बताया कि कृषि कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान करीब 7 महीनों से नैशनल हाइवे को कब्जे में लेकर बैठे हुए हैं. इनकी वजह से गांव के लोगों के अलावा बॉर्डर की सड़कों पर दुकानदार, आसपास के इंडस्ट्रियल एरिया के फैक्ट्री मालिकों और दूसरे व्यवसाय से जुड़े लोगों का काम धंधा चौपट हो गया है. कोरोना के पहले लॉकडाउन के बाद लोग अपने रोजगार पर पहुंचे ही थे कि किसानों ने वहां डेरा डाल दिया.

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महापंचायत में लिए यह तीन निर्णय

1. महापंचायत की अध्यक्षता कर रहे हेमंत नांदल ने कहा कि स्थानीय लोगों का आपसी सद्भावना का माहौल बना रहे और सिंघु बॉर्डर बंद होने से हो रहे नुकसान को कुछ कम किया जा सके, इसके लिए महापंचायत सर्व सहमति से आंदोलनकारियों एवं सरकार को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है. अगर आगामी सप्ताह में प्रशासन और प्रदेश सरकार द्वारा एक तरफ का रास्ता खाली नहीं किया जाता है तो आगे होने वाली परिस्थितियों के लिए आंदोलनकारी और प्रदेश सरकार ही जिम्मेदार होंगे.

2. दूसरा निर्णय यह लिया गया कि अगर बॉर्डर पर कोई हिंसा होती है तो इसके लिए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर कमेटी बनाई जाएगी. जिसमें दोषी को कड़ी सजा मिल सके और समझौते का कोई प्रावधान ना हो.

3. तीसरा निर्णय लिया कि अक्सर आंदोलनकारियों द्वारा स्थानीय लोगों को परेशान करने के लिए बेरिकेडिंग लगा दी जाती है, उसका विरोध किया जाएगा. क्योंकि बेरिकेडिंग का अधिकार केवल पुलिस के पास ही होना चाहिए.