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दिल्ली बॉर्डर खाली करने से पहले टिकैत ने कहा, समय पर करेंगे ये काम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को घोषणा की थी कि केंद्र संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए आवश्यक विधेयक लाएगा. कृषि कानूनों के विरोध में बड़े पैमाने पर किसानों ने दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर लगभग 13 महीनों से आंदोलन

Updated on: 12 Dec 2021, 09:51 AM

highlights

  • टिकैत ने कहा-हर साल 10 दिवसीय किसान आंदोलन मेला आयोजित किया जाएगा
  • पीएम मोदी ने 19 नवंबर को कृषि कानून को निरस्त करने की घोषणा की थी
  • दिल्ली बॉर्डर से वापस लौट रहे किसान, 15 दिसंबर तक वापस घर जाएंगे 

नई दिल्ली:

केंद्र द्वारा निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ मिली सफलता के बाद किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले भारतीय किसान मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत दिल्ली बॉर्डर खाली करने से पहले एक और बयान दिया है. टिकैत ने कहा है कि वे महापंचायतों का आयोजन बंद नहीं करेंगे. टिकैत ने संवाददाताओं से कहा, हर साल 10 दिवसीय किसान आंदोलन मेला आयोजित किया जाएगा. किसानों के मुद्दों पर चर्चा के लिए समय-समय पर महापंचायत आयोजित की जाएगी. राकेश टिकैत ने किसानों के विरोध को उजागर करने में मीडिया द्वारा निभाई गई भूमिका को भी स्वीकार किया. टिकैत ने कहा कि यह सरकार पर विवादास्पद कानूनों पर दबाव डालने में भूमिका निभाई.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को घोषणा की थी कि केंद्र संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए आवश्यक विधेयक लाएगा. कृषि कानूनों के विरोध में बड़े पैमाने पर किसानों ने दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर लगभग 13 महीनों से आंदोलन कर रहे थे. जिसके बाद संसद ने शीतकालीन सत्र के पहले दिन 29 नवंबर को कृषि कानून को रद्द करने के लिए विधेयक पारित किया. बाद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया को पूरा करने वाले विधेयक को अपनी सहमति दे दी.

हालांकि बाद में किसानों ने अपना विरोध समाप्त करने से इनकार कर दिया था. किसानों ने सरकार से उनकी अन्य मांगों को पूरा करने का आग्रह किया जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी और उनके खिलाफ पुलिस मामलों को वापस लेना शामिल था. बाद में केंद्र ने उनकी मांगों को स्वीकार कर लिया और इसके लिए लिखित आश्वासन दिया, जिसके बाद किसानों ने अपना आंदोलन समाप्त करने का फैसला किया और कहा कि वे 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमा पर विरोध स्थलों से घर वापस लौट जाएंगे.