माघ मेले में आए सभी संत चाहते हैं कि मंदिर सरकारी नियंत्रण से हों मुक्त

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माघ मेले में आए सभी संत चाहते हैं कि मंदिर सरकारी नियंत्रण से हों मुक्त

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IANS
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Magh Mela

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

प्रमुख संतों और धार्मिक संगठनों ने मांग की है कि देश भर के हिंदू मंदिरों और मठों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाना चाहिए।

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अखिल भारतीय दांडी संन्यासी परिषद के शिविर में चल रहे माघ मेले में आयोजित एक बैठक में पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मश्रम महाराज ने विभिन्न संगठनों के संतों के साथ मांग करते हुए कहा कि मंदिरों और मठों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए।

महाराज ने कहा कि देश भर के चचरें और मस्जिदों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, तो हिंदू मंदिरों और मठों पर सरकार का नियंत्रण क्यों होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि एक सनातन धर्म परंपरा रही है, जिसमें मंदिरों से आश्रम और संस्कृत विद्यालय चलाए जा रहे हैं। सरकार को इसी तरह की नीति अपनानी चाहिए और मंदिरों को जल्द से जल्द अपने नियंत्रण से मुक्त करना चाहिए।

ब्रह्मश्रम महाराज ने आगे कहा कि देश भर के हिंदू मंदिरों और मठों को सरकारों के नियंत्रण से मुक्त करने के लिए देश के प्रमुख संत, संत जल्द ही एक जन आंदोलन शुरू करेंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि यह विडंबना है कि स्वतंत्रता के बाद से सनातन धर्म और उसके अनुयायी हमेशा सरकार के निशाने पर रहे हैं। अब तक, पूरे भारत में एक भी मस्जिद या चर्च पर सरकार का नियंत्रण नहीं है।

उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार ने मंदिरों को छोड़कर अन्य धार्मिक स्थलों के अंदर की जा रही गतिविधियों पर गौर करने की हिम्मत नहीं की है।

संतों ने दावा किया कि हमारे देश के कई प्रमुख मंदिरों के मामलों की देखभाल सरकार कर रही है।

इसके अलावा, कुछ अन्य मंदिर और मठ हैं जिनकी देखभाल ऐसे व्यक्ति करते हैं, जो विभिन्न धर्मों के हैं और हमारी धार्मिक प्रथाओं और अनुष्ठानों से अच्छी तरह वाकिफ नहीं हैं।

दांडी संन्यासी ने कहा कि सरकारों को धन के प्रबंधन, दिन-प्रतिदिन के मामलों या उस मामले के लिए मंदिरों और मठों के धार्मिक अनुष्ठानों और प्रथाओं की बात नहीं करनी चाहिए।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
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