इजरायली मिसाइल हमले से दहला ईरानी न्यूज़ रूम, लाइव बुलेटिन के दौरान एंकर को जान बचाकर भागना पड़ा
बर्थडे स्पेशल: 'शौर्य चक्र' से सम्मानित वो सैनिक, जिसने भारत को एशियन गेम्स में दिलाए मेडल
ब्रॉड और बटलर ने बुमराह को इंग्लैंड टेस्ट के लिए भारत का 'ट्रम्प कार्ड' बताया
मई में भारतीय इक्विटी मार्केट ने वैश्विक बाजारों से बेहतर प्रदर्शन किया : रिपोर्ट
स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों का घरेलू कचरा संग्रहण में इंटीग्रेशन एक बड़ा बदलाव : केंद्र
मोटापा घटाएं, सेहत बढ़ाएं : '5पी' के साथ करें स्वस्थ जीवनशैली की शुरुआत
मैं इस टीम के लिए अपना खून देने को तैयार हूं और कड़ी मेहनत करना जारी रखूंगा: कैगिसो रबाडा
इजरायल का दावा, मारा गया ईरान का टॉप कमांडर अली शादमानी
अब 4 दिन का होने वाला है टेस्ट क्रिकेट, ICC ने तैयार किया मास्टर प्लान, भारत सहित इन 3 देशों को नहीं मिलेगी छूट

हाईकोर्ट ने पूछा - जनसंख्या नियंत्रित ना करने वाले राज्यों को संसद में अधिक सीटें क्यों? 

मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक आदेश पारित कर केंद्र सरकार से पूछा है कि जनसंख्या नियंत्रित नहीं कर सकने वाले राज्यों को संसद में अधिक सीटें क्यों मिली हुई हैं.

मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक आदेश पारित कर केंद्र सरकार से पूछा है कि जनसंख्या नियंत्रित नहीं कर सकने वाले राज्यों को संसद में अधिक सीटें क्यों मिली हुई हैं.

author-image
Kuldeep Singh
New Update
Court

मद्रास हाईकोर्ट ने जनसंख्या को लेकर सुनाया फैसला( Photo Credit : न्यूज नेशन)

मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने जनसंख्या नियंत्रित करने वाले राज्यों की संसद में सीटें कम करने को लेकर सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि जिन राज्यों ने जनसंख्या (Population) पर नियंत्रण नहीं किया है, उन्हें संसद में अधिक सीटें क्यों दी हुई हैं. कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु (Tamilnadu) और आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिणी राज्यों सफलतापूर्वक जनसंख्या को नियंत्रित किया और उनके पास यूपी, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्यों की तुलना में संसद में सीटों की संख्या कम है. 

Advertisment

तमिलनाडु को मुआवजा देने को कहा
बार और बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक न्यायमूर्ति एन किरुबाकरण और बी पुगलेंधी की पीठ ने 17 अगस्त को आदेश पारित किया. इस फैसले को सुनाने के बाद न्यायमूर्ति एन किरुबाकरण सेवानिवृत्त हो गए. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जिन राज्यों ने अपने यहां योजना बनाकर जनसंख्या पर नियंत्रण किया है उनके बारे में सकारात्मक सोच रखनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु को पिछले 14 चुनावों के लिए मुआवजा मिलना चाहिए. अदालत के अनुमान के मुताबिक यह राशि करीब 5,600 करोड़ रुपये होगी.

यह भी पढ़ेंः अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों की वापसी का काम तेज, 329 लोगों को लाया गया

क्यों सुनाया फैसला
दरअसल कोर्ट ने अपने फैसला तमिलनाडु में लोकसभा की कम हुई सीटों के मामलों में एक मामले की सुनवाई के बाद सुनाया. कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु में 1962 तक लोकसभा में 41 सांसद थे. हालांकि बाद में जनसंख्या में कमी के चलते तमिलनाडु लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या घटकर 39 हो गई. यानि जनसंख्या में कमी के कारण राज्य में दो लोकसभा के सांसद कम हो गए. 

एनडीए सरकार के अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र
कोर्ट ने अपने फैसले में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ 1999 के अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र भी किया. यह फैसला दो सीटों के बारे में नहीं है. हर एक वोट मायने रखता है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संसद में राज्यों के जन प्रतिनिधियों की संख्या तय करने में जनसंख्या नियंत्रण को कारण नहीं बनाया जा सकता है.

HIGHLIGHTS

  • तमिलनाडु में लोकसभा के दो सांसद हुए कम
  • कोर्ट ने तमिलनाडु को मुआवजा देने को भी कहा
  • कोर्ट बोला - जनसंख्या से ना तय हो लोकसभा की सीटें 
Population madras high court Population and Parliament seats tamil-nadu
      
Advertisment