2000 के नोट पर देवनागरी लिपि क्यों, मद्रास हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल
बाजार में जारी 2000 रूपये के नोट पर अंकों के लिए देवनागिरी लिपि के प्रयोग करने पर दाखिल पीआईएल की सुनवाई के दौरान मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई।
नई दिल्ली:
बाजार में जारी 2000 रूपये के नोट पर अंकों के लिए देवनागिरी लिपि के प्रयोग करने को लेकर मद्रास हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल की गई है। इस पर सुनवाई के दौरान मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि देवनागरी लिपि का प्रयोग किस नियम और अधिकार के तहत किया गया है।
गौरतलब है कि द्रमुक पार्टी के पदाधिकारी केपीटी गणेशन ने ये पीआईएल मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच में दाखिल की। इस पीआईएल में देवनागिरी लिपि में अंकों का प्रयोग अनुच्छेद 343 (1) अधिकारिक भाषा अधिनियम, 1963 के विपरीत बताया है।
मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए सोमवार को केंद्र सरकार और वित्त मंत्रालय से पूछा है,"किस अधिकार के तहत उन्होंने 2000 के नोट पर देवनागिरी का इस्तेमाल किया?"
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पीआईएल पर सुनवाई के दौरान दलील को देते हुए गणेशन ने इन नोटों को अमान्य घोषित करने की मांग की है। गणेशन ने कहा,'1963 में अधिनियमित अधिकारिक भाषा नियम के तहत अंको के देवनागरी रूप के उपयोग का प्रावधान नहीं है, ना ही इसके लिए सरकार ने कोई नया नियम निकाला है और ना राष्ट्रपति से इसकी इजाजत ली है। ऐसे में देवनागिरी अंकों का प्रय़ोग असंवैधानिक है। इसको अमान्य घोषित किया जाना चाहिए।
इस मामले पर भाकपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बिनॉय विश्वम भी इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर चुके है। इस मामले पर 22 नंवबर में सुनवाई की जाएगी।
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