Advertisment

मद्रास हाईकोर्ट ने वकीलों के गाउन पहनने के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

मद्रास हाईकोर्ट ने वकीलों के गाउन पहनने के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

author-image
IANS
New Update
Madra High

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

Advertisment

मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के एक आदेश के खिलाफ एक वकील द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें कहा गया था कि वकीलों को अपनी बेंच के सामने पेश होने के दौरान गाउन पहनना चाहिए।

न्यायमूर्ति आर. महादेवन और मोहम्मद शफीक की एक खंडपीठ ने वकील आर. राजेश द्वारा दायर याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा, जिसमें तर्क दिया गया कि न्यायमूर्ति के. रविचंद्र बाबू (अब सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति टी.एस. शिवगणनम ने एनसीएलटी रजिस्ट्रार द्वारा जारी अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगा दी।

याचिकाकर्ता ने कहा कि एनसीएलटी रजिस्ट्रार अधिवक्ताओं से अंतरिम रोक का अनुपालन किए बिना एनसीएलटी की पीठ के समक्ष गाउन पहनने की फिर से मांग कर रहे थे।

उन्होंने तर्क दिया, एनसीएलटी रजिस्ट्रार द्वारा पारित अधिसूचना और उसके बाद के आदेश अवैध, मनमाना और योग्यता से रहित हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि मद्रास हाईकोर्ट ने द्वारा अंतरिम रोक का आधार यह था कि अधिसूचना बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के खिलाफ है, जिसमें कहा गया है कि अधिवक्ताओं को उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में पेश होने के दौरान गाउन पहनना चाहिए।

अधिवक्ता एस.आर. बार काउंसिल ऑफ इंडिया का प्रतिनिधित्व करने वाले रघुनाथन ने याचिकाकर्ता के तर्क का समर्थन किया और कहा कि एनसीएलटी रजिस्ट्रार इस तरह का बयान जारी नहीं कर सकता, क्योंकि यह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के खिलाफ है।

बीसीआई के वकील ने कहा कि उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा अंतरिम स्थगन आदेश के बावजूद जारी किए गए नए आदेश के खिलाफ एनसीएलटी रजिस्ट्रार को नोटिस भेजा था। अधिवक्ता ने कहा कि रजिस्ट्रार ने नोटिस मिलने के बाद आदेश वापस ले लिया था।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

Advertisment
Advertisment
Advertisment