मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को राज्य में हाथ से मैला उठाने की प्रथा को खत्म करने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया है।
अदालत ने सफाई कर्मचारी आंदोलन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया जिसमें हाथ से मैला उठाने के दौरान हुई मौतों को दिए जाने वाले मुआवजे को बढ़ाने की मांग की गई थी।
मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ में न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति पी.डी. आदिकेस्वलु ने बुधवार को राज्य सरकार से हाथ से मैला ढोने वालों के लिए कठोर कदम उठाने का निर्देश दिया है।
अदालत ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर एक स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया और यह भी कहा कि सरकार उन लोगों की उचित गणना करे, जो हाथ से मैला ढोने के काम में शामिल हैं।
याचिकाकर्ताओं के वकील श्रीनाथ श्रीदेवन ने कहा कि राज्य सरकार जहां हाथ से मैला ढोने वालों की संख्या 464 है, वहीं याचिकाकर्ताओं के अनुसार यह राज्य में 3000 से अधिक होगी।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने हाथ से मैला ढोने के दौरान हुई मृत्यु के कारण होने वाली मुआवजे की राशि को वर्तमान में 10 लाख रुपये से बढ़ाकर कम से कम 50 लाख रुपये करने का अनुरोध किया है।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि पहले की राशि 2014 में तय की गई थी और जीवन यापन की लागत कई गुना बढ़ गई है और मुआवजा पूरी तरह से अपर्याप्त और अनुचित है।
न्यायाधीशों ने राज्य सरकार के वकील पी. मुथुकुमार को इस मामले में निर्देश प्राप्त करने का निर्देश दिया।
उन्होंने अदालत से यह भी अनुरोध किया कि हाथ से मैला ढोने के दौरान मरने वालों के आश्रितों को रोजगार मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए।
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Source : IANS