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मद्रास हाईकोर्ट ने वाहनों में क्रैश गार्ड, बुल बार पर प्रतिबंध बरकरार रखा

मद्रास हाईकोर्ट ने वाहनों में क्रैश गार्ड, बुल बार पर प्रतिबंध बरकरार रखा

Updated on: 21 Sep 2021, 05:50 PM

चेन्नई:

मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार की दिसंबर 2017 की उस अधिसूचना को बरकरार रखा, जिसमें वाहनों में क्रैश गार्ड और बुल बार के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है।

मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति पी.डी. ऑडीकेसवालु की पीठ ने माना कि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने जनहित में अधिसूचना जारी की है।

पीठ ने कहा कि वह आम तौर पर सरकार द्वारा जनहित में जारी इस तरह की अधिसूचनाओं में तब तक हस्तक्षेप नहीं करेगी, जब तक वे बेतुकी या आपत्तिजनक न हों।

अदालत ने यह भी कहा कि क्रैश गार्ड और बुल बोर्ड वाले वाहनों के चालकों ने सड़क पर, विशेष रूप से राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गो पर बुली की तरह व्यवहार किया।

अदालत ने नोट किया कि अधिसूचना में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि क्रैश गार्ड या बुल बार का फिट होना मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 52 का उल्लंघन था, जो पंजीकरण प्रमाणपत्र में उल्लिखित विनिर्देशों के अनुसार वाहनों में बदलाव को रोकता है।

याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अजय फ्रांसिस ने तर्क दिया कि क्रैश गार्ड के फिट होने से वाहन के मूल विनिर्देश बदल जाते हैं और इसकी लंबाई बढ़ जाती है।

वकील ने यह भी कहा कि यह साबित करने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन किए गए थे कि मोटर चालकों के लिए बाजार के बाद फिटमेंट सुरक्षित नहीं थे।

जैसा कि क्रैश गार्ड और बुल बार निर्माताओं की ओर से वरिष्ठ वकील आरएल सुंदरसन ने कहा कि फिटिंग केवल अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करती है और केंद्र को समझाने की स्वतंत्रता की मांग करती है, पीठ ने कहा कि उसके द्वारा पारित आदेश निर्माताओं को केंद्र का उचित प्रतिनिधित्व करने से नहीं रोकेंगे।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.