मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के मुख्य सचिव वी. इराई अंबू को यह बताने के लिए तलब किया है कि राज्य में जल स्त्रोतों की रक्षा क्यों नहीं की गई और वो अतिक्रमण का शिकार कैसे हो गए हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति पी.डी. आदिकेसवालु ने बुधवार को जल स्त्रोतों की रक्षा करने और अतिक्रमणों को हटाने में सरकार की विफलता पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने जो स्थिति रिपोर्ट प्रदान की, उसमें आवश्यक जानकारी का अभाव था।
इराई अंबू ने अदालत में रिपोर्ट पेश की थी कि उन्होंने पंजीकरण महानिरीक्षक को निर्देश दिया था कि जल स्त्रोतों पर स्थित भूमि के पंजीकरण की अनुमति न दें। कोर्ट ने कहा कि यह पर्याप्त नहीं है।
संबंधित अधिकारियों की निष्क्रियता के परिणामस्वरूप सभी दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच का आदेश हो सकता है, पीठ ने कहा और महाधिवक्ता आर षणमुगसुंधरम को मामलों को हल्के में नहीं लेने का निर्देश दिया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जल स्त्रोतों की सुरक्षा में सरकारी अधिकारियों की विफलता के कारण बाढ़ के साथ-साथ पानी की कमी भी हुई है और ये सरकारी खजाने को खत्म कर रहे हैं और राज्य के लोगों के लिए दुख पैदा कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति भंडारी ने मुख्य सचिव को तलब करते हुए आदेश जारी करते हुए कहा कि इसे बहुत गंभीरता से लें। तमिलनाडु राज्य को अगले साल ऐसी स्थिति नहीं झेलनी चाहिए जैसे इस साल है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से दी गई दलील के मुताबिक जलाशयों पर हुए 57,688 अतिक्रमणों में से सिर्फ 8,797 को ही हटाया गया।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS