मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने एक तुच्छ याचिका (ऐसा आवेदन जिसमें गंभीरता की कमी हो) दायर करने वाले याचिकाकर्ता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए 1.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, जो सरकार द्वारा कोविड-19 प्रतिबंधों से संबंधित आदेशों को असंवैधानिक घोषित करने की मांग कर रहे थे।
63 वर्षीय एम. थवमणि ने अदालत में याचिका दायर कर उन्हें 5 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग करते हुए कहा था कि लॉकडाउन ने उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है और उन्हें आर्थिक रूप से प्रभावित किया है।
अदालत ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि यह सुनवाई योग्य नहीं है।
न्यायमूर्ति एस. वैद्यनाथन और न्यायमूर्ति जी. जयचंद्रन की मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने पाया कि थवमणि जैसे व्यक्तियों का रवैया डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य कोरोना योद्धाओं द्वारा की गई निस्वार्थ सेवा के लिए हानिकारक है, जिन्होंने इस महामारी के दौरान अपनी जान गंवाई है।
अपनी याचिका में, थवमणि ने कहा कि यदि राज्य के स्वास्थ्य विभाग, डॉक्टर और स्वास्थ्य पेशेवर अधिक सतर्क रहते और लोगों को उचित चिकित्सा देखभाल प्रदान करते, तो कोविड-19 और इसके वैरिएंट इतने भी घातक नहीं थे और नियत समय में इनका इलाज किया जा सकता था।
अदालत ने तुच्छ याचिकाओं को दायर करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाने को लेकर याचिकाकर्ता को फटकार लगाई। मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने कहा, जब तक याचिकाकर्ता जैसे बिजीबॉडी (दूसरों के काम में बाधा डालने वाले) को उनकी मूर्खतापूर्ण गतिविधि के लिए दंडित नहीं किया जाता, तब तक इस अदालत को डर है कि निस्वार्थ लोगों का बलिदान व्यर्थ हो जाएगा।
न्यायाधीशों ने नोट किया कि याचिकाकर्ता राज्य द्वारा महामारी पर अंकुश लगाने के लिए किए गए ईमानदार प्रयासों का मजाक उड़ा रहा है और संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए निवारक उपायों की निंदा कर रहा है।
मदुरै खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को निर्णय के 15 दिनों के भीतर सरकारी राजाजी अस्पताल, मदुरै में कोविड-19 वार्ड के लिए 1.5 लाख रुपये का जुर्माना देने का निर्देश दिया और यदि वह निर्धारित समय के भीतर जुर्माने का भुगतान करने में विफल रहते हैं तो मदुरै जिला कलेक्टर राजस्व वसूली अधिनियम, 1890 को लागू कर सकते हैं और याचिकाकर्ता से धन एकत्र कर सकते हैं।
अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि उन्होंने प्रचार के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है और अदालत का कीमती समय बर्बाद करने की कोशिश की गई है।
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Source : IANS