पूर्व राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी और माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली देश की पहली दिव्यांग अरुणिमा सिन्हा के साथ मध्यप्रदेश के उज्जैन महाकाल के गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया गया था। वह इस बात से बुरी तरह से आहत है।
उन्होंने कहा कि महाकाल के दर्शन के दौरान उन्हे 'बेहद दर्द' का सामना करना पड़ा इतना दर्द तो उन्हें एवरेस्ट चढ़ने के दौरान नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मंदिर में उनकी दिव्यांगता का मजाक उड़ाया गया।
अरुणिमा सिन्हा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर पीएम मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को टैग करते हुए लिखा, 'मुझे ये बताते हुए बहुत दुख है कि महाकाल के दर्शन के दौरान मैं 'बेहद दर्द' का अनुभव हुआ, इतना तो एवरेस्ट चढने में नहीं हुआ था। महाकाल में मेरी दिव्यांगता का मजाक उड़ाया गया।
मंदिर के सूत्रों के मुताबिक सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें नंदीगृह-गर्भगृह तक पहुंचने में दो बार रोका। जिनके साथ बहस करते हुए अरुणिमा रो पड़ी। अरुणिमा जाते वक्त आंसू पोंछते हुए बोली- जहां साक्षात शिव रहते हैं, वहां पर्वत पर चढ़ने में इतनी दिक्कत नहीं हुई, जितनी यहां दर्शन में हुई।
महाकाल के प्रशासन अधिकारी अवधेश शर्मा ने बताया कि उन्हें इस मामले की जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए हुई। उन्होंने कहा,' दिव्यांगों के लिए रैंप है और मैं सुरक्षा कर्मियों से पूछूंगा कि उन्होंने क्यों रोका। हम सीसीटीवी भी चेक करेंगे ताकि दोषी का पता लगाया जा सकें।'
2011 में ट्रेन में बदमाशों ने बैग व सोने की चेन छीनी और अरुणिमा को ट्रेन से बाहर फेंक दिया था, वह एक पैर गंवा बैठी। 2013 में कृत्रिम पैर से 21110 फीट ऊंचाई पर एवरेस्ट पर झंडा फहराया।
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HIGHLIGHTS
- माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली देश की पहली दिव्यांग अरुणिमा सिन्हा के साथ उज्जैन के महाकाल में बदसलूकी
- सुरक्षा बलों में उन्हें नंदीगृह-गर्भगृह तक पहुंचने में दो बार रोका
Source : News Nation Bureau