मंदसौर गैंगरेप मामले में दो को फांसी, दो महीने के अंदर कोर्ट ने सुना दी सज़ा
जून महीने में एक 8 साल की बच्ची को स्कूल से अगवा कर उसके साथ पहले बलात्कार किया गया और बाद में उसकी हत्या की कोशिश की गई।
नई दिल्ली:
मध्यप्रदेश में मंदसौर की विशेष अदालत ने 26 जून को आठ वर्षीय स्कूली छात्रा का अपहरण करके उसके साथ सामूहिक बलात्कार करने के मामले में दो युवकों को आज फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने इस मामले को विरल से विरलतम बताते हुए कहा कि ऐसे आरोपियों को दंड देने में उदारता नहीं बरती जा सकती है और इनके लिए मृत्युदंड ही एकमात्र सजा है।
विशेष अदालत की न्यायाधीश निशा गुप्ता ने मंदसौर की आठ वर्षीय स्कूली छात्रा का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार करने के मामले में इरफान मेवाती उर्फ भैय्यू (20) एवं आसिफ मेवाती (24) को भादंवि की धारा 376-डीबी के अंतर्गत दोषी करार देते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई है।
ये दोनों मंदसौर के मदारपुरा के रहने वाले हैं और जब इन्हें सजा सुनाने के बाद पुलिस द्वारा अदालत से जेल ले जाया जा रहा था, तब अदालत परिसर के बाहर मौजूद भीड़ में से एक व्यक्ति ने कथित रूप से आसिफ को तमाचा भी मारा। इसके बाद पुलिस दोनों आरोपियों को भीड़ से बचाने के लिए दुबारा अदालत परिसर के अंदर ले गई। इसका वीडियो टेलीविजन चैनल सहित व्हाट्सएप पर वायरल हो गया।
सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी नीतेश कृष्णन ने बताया कि निशा गुप्ता की अदालत ने अपना निर्णय सुनाते हुए टिप्पणी में कहा, 'दोनों आरोपियों द्वारा किया गया कृत्य वीभत्स एवं नृशंस प्रकृति का है। इन दोनों आरोपियों के द्वारा एक असहाय बालिका जो विद्यालय के बाद घर जाने के लिए लालायित थी, जो प्रतिरोध करने में सक्षम नहीं थी, उसके साथ न सिर्फ बलात्कार किया गया बल्कि उसके प्राइवेट पार्ट्स तथा शरीर के अन्य मार्मिक भाग पर चाकू से प्रहार किया गया।'
उन्होंने कहा कि अदालत ने कहा, 'इस प्रकार अभियोजन विरल से विरलतम मामले को प्रमाणित करने में सफल रहा और ऐसे आरोपियों को दंड देने में उदारता नहीं बरती जा सकती है। इस कारण दोनों आरोपियों को भादंवि की धारा 376-डीबी के अंतर्गत मृत्युदंड ही एकमात्र सजा है।'
कृष्णन ने बताया कि हाल में किये गए प्रावधान के तहत भादंवि की धारा 376 डीबी के तहत 12 वर्ष से कम आयु की बच्ची से सामूहिक बलात्कार करने के जुर्म में मृत्युदंड का प्रावधान है।
इसी बीच, लोक अभियोजक बी एस ठाकुर ने बताया कि इसके अलावा, अदालत ने इन दोनों को भादंवि की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आजीवन कारावास, भादंवि की धारा 366 (किसी स्त्री का अपहृत कर बलात्कार करना) के तहत 10 साल की सजा एवं 10,000 रूपये का जुर्माना और भादंवि की धारा 363 (अपहरण) में सात साल की सजा एवं 10,000 रूपये के जुर्माने से भी दंडित किया है।
उन्होंने कहा कि मंदसौर में इस आठ वर्षीय बच्ची को 26 जून की शाम लड्डू खिलाने का लालच देकर उस वक्त अगवा किया गया था जब वह स्कूल की छुट्टी के बाद पैदल अपने घर जा रही थी। सामूहिक बलात्कार के बाद कक्षा तीन की इस छात्रा को जान से मारने की नीयत से उस पर चाकू से हमला भी किया गया था। वह 27 जून की सुबह शहर के बस स्टैंड के पास झाड़ियों में लहूलुहान हालत में मिली थी। इस मामले में पुलिस ने इरफान एवं आसिफ को गिरफ्तार किया था।
ठाकुर ने बताया कि मध्यप्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने दोनों आरोपियों पर भारतीय दंड विधान (IPC) की धारा 376-डी (सामूहिक बलात्कार), 376 (2एन), 366 (अपहरण), 363 (अपहरण के दण्ड) एवं पॉक्सो एक्ट से संबधित धाराओं के तहत 10 जुलाई को आरोपपत्र दाखिल किया था।
घटना के मात्र 15वें दिन दाखिल किये गये इस आरोपपत्र में 350 से अधिक पेज एवं प्रमाण के लिए करीब 100 दस्तावेज थे। इसमें डॉक्टरों सहित 92 गवाहों के बयान भी दर्ज थे।
इसके अलावा, इस आरोपपत्र के साथ अदालत में 50 चीजें भी पेश की गई हैं, जिनमें आरोपियों इरफान एवं आसिफ द्वारा बच्ची को जान से मारने की नीयत से उस पर हमला करने वाले चाकू एवं कपड़े भी शामिल थे।
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इस अमानवीय घटना के बाद मंदसौर सहित पूरे मध्यप्रदेश में आरोपियों को तुरंत फांसी देने की मांग करते हुए लोगों ने विरोध प्रदर्शन किये थे।
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