शिवभक्त के बाद अब कांग्रेस में राहुल गांधी को 'रामभक्त' बताने की होड़

कांग्रेस यह भ्रम तोड़ने में जुटी है कि बीजेपी हिंदू धर्म की 'ठेकेदार' नहीं है और सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करने वाली पार्टी के अध्यक्ष भी भगवान के 'भक्त' हैं।

कांग्रेस यह भ्रम तोड़ने में जुटी है कि बीजेपी हिंदू धर्म की 'ठेकेदार' नहीं है और सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करने वाली पार्टी के अध्यक्ष भी भगवान के 'भक्त' हैं।

author-image
saketanand gyan
एडिट
New Update
शिवभक्त के बाद अब कांग्रेस में राहुल गांधी को 'रामभक्त' बताने की होड़

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फोटो: @INCIndia)

कांग्रेस यह भ्रम तोड़ने में जुटी है कि बीजेपी हिंदू धर्म की 'ठेकेदार' नहीं है और सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करने वाली पार्टी के अध्यक्ष भी भगवान के 'भक्त' हैं। यही वजह है कि राहुल गांधी को कहीं शिवभक्त तो कहीं रामभक्त और 'पंडित' के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने मध्यप्रदेश के अपने दूसरे दौरे की शुरुआत चित्रकूट से की है। यह वह स्थान है, जहां भगवान राम ने अपने वनवास का सबसे ज्यादा समय बिताया था। राहुल गांधी यहां से अपने दौरे की शुरुआत कर राज्य में पार्टी के वनवास को खत्म करना चाहते हैं।

Advertisment

राहुल के स्वागत में जो होर्डिंग, बैनर वगैरह लगे हुए हैं, उनमें उन्हें रामभक्त के साथ पंडित राहुल गांधी बताया गया है। इतना ही नहीं, गले में दुशाला पड़ा है और भगवान राम की तस्वीर को प्रणाम करते नजर आ रहे हैं। इससे पहले भोपाल आगमन पर राहुल को शिवभक्त के तौर पर प्रचारित किया गया था। पार्टी की मप्र इकाई ने शॉल व श्रीफल देकर उनका सम्मान किया था। मंच से नेताओं ने राहुल गांधी की 'मानसरोवर यात्रा' का भी जिक्र किया था।

राजनीतिक विश्लेषक भारत शर्मा का कहना है कि कांग्रेस ने बीजेपी को उसी के हथियार से घायल करने की रणनीति बनाई है और इसके अगुआ पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी बने हैं।

उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष को हिंदू विरोधी कहना बीजेपी के लिए अब तक आसान होता था, जबकि अब ऐसा है नहीं। अब राहुल गांधी मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद आदि में जा रहे हैं। लिहाजा, बीजेपी के लिए अब आसान नहीं रहा कि वह कांग्रेस और राहुल गांधी को हिंदू विरोधी बता सके।

शर्मा आगे कहते हैं कि कांग्रेस भी राहुल गांधी को भक्त प्रचारित करने में परहेज नहीं कर रही है। भोपाल में भरे मंच से राहुल को शिवभक्त कहकर सम्मानित किया गया था। इस तरह कांग्रेस ने यह बता दिया है कि उसे राम और कृष्ण से कभी परहेज नहीं रहा है।

इस मसले पर बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय का कहना है, 'कांग्रेस 60 साल तक देश में धार्मिक उन्माद, भावनाएं भड़काने की राजनीति करती रही है। जब वर्ष 2014 में पतन के करीब पहुंच गई तो उसे बदलाव की याद आई।'

उन्होंने कहा कि राहुल के धर्म से किसी को मतलब नहीं है। वे तो अपनी सरकारों का कामकाज बताएं, दूसरी सरकारों से सवाल पूछें, अगर वे अपने को बतौर हिंदू प्रचारित कर रहे हैं तो यह भी बताएं कि उनके पूर्वजों का श्राद्ध किस दिन होता है।

और पढ़ें : मध्य प्रदेश में महिला सुरक्षा पर राहुल गांधी ने साधा सरकार पर निशाना, बेटी पढ़ाओ मगर बीजेपी के विधायकों से बचाओ

कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सुभाष सोजतिया का कहना है कि कांग्रेस ने हमेशा सभी धर्मों का सम्मान किया है, सभी का आदर दिया है। कांग्रेस के लिए इस धरती पर जन्म लेने वाला हर एक इंसान समान है। यही कारण है कि कांग्रेस ने धर्मनिरपेक्षता को आत्मसात किया, मगर बीजेपी ने इस देश को जाति-धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश की।

उन्होंने कहा कि जहां तक धार्मिक भावनाएं भड़काने और उन्माद फैलाने की बात है, तो यह समूचा देश जानता है कि राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे हथकंडे कौन सी पार्टी अपनाती रही है और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए कौन सी पार्टी बदनाम रही है। बीजेपी की हकीकत अब धीरे-धीरे देश के सामने आने लगी है। आने वाले समय में उसे अपनी करनी का फल भुगतना होगा।

और पढ़ें : उमा भारती ने कहा- मुसलमानों का धार्मिक स्थल मक्का है न कि अयोध्या, SC के फैसले पर पढ़ें राजनेताओं की प्रतिक्रिया

बहरहाल, राहुल गांधी के मंदिरों में जाने के सिलसिले ने बीजेपी को उन पर 'हिंदू विरोधी' होने जैसे हमलों से तो बचाया ही है, साथ ही कांग्रेस की अल्पसंख्यक समर्थक होने की छवि को भी कुछ कम किया है। लिहाजा, राज्य में तीन महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में 'धार्मिक कट्टरवाद मुद्दा' नहीं बन पाएगा और दोनों दलों को एक-दूसरे की कार्यशैली पर हमले का बेहतर मौका मिलेगा।

Source : IANS

मध्य प्रदेश madhya pradesh election राहुल गांधी rahul gandhi बीजेपी rambhakta madhya-pradesh Assembly Election कांग्रेस congress
Advertisment