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मप्र में आंगनवाड़ी गोद लेने और खिलौने जुटाने की मुहिम पर सियासी संग्राम

मप्र में आंगनवाड़ी गोद लेने और खिलौने जुटाने की मुहिम पर सियासी संग्राम

Updated on: 27 May 2022, 11:40 PM

भोपाल:

मध्य प्रदेश में आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थिति में सुधार लाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जहां खिलौना संग्रह की मुहिम छेड़ी, वहीं लोगों से आंगनवाड़ी केंद्रों को गोद लेने का आह्वान किया है। इसको लेकर राज्य में सियासत गर्मा गई है। भाजपा इस पहल का स्वागत कर रही है, वहीं कांग्रेस सरकार को ही कटघरे में खड़ा करने में लगी है।

सरकारी आंकड़े बताते है कि राज्य में 97 हजार से ज्यादा आंगनवाड़ी केंद्र स्वीकृत है, जिनसे 31 लाख से ज्यादा तीन से छह वर्ष की आयु तक के बच्चों को लाभ मिल रहा है। साथ ही नौ-नौ हजार गर्भवती व धात्री महिलाएं लाभ पा रही हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों के लिए खिलौने जुटाने के लिए हाथ ठेला लेकर राजधानी की सड़कों पर भ्रमण किया था। इसके अलावा उन्होंने आंगनवाड़ी केंद्रों को गोद लेने का आह्वान करते हुए कहा है कि आंगनवाड़ी, बच्चों को स्वस्थ एवं सुशिक्षित रखने, उन्हें बेहतर संस्कार देने और उनकी बेहतर ग्रोथ का माध्यम है। आँगनवाड़ी केवल सरकार की जवाबदारी नहीं है। सरकार संसाधन जुटा रही है। पोषण आहार भेज रही है। व्यवस्थाएं जुटा रही हैं। इसमें समाज की भी जवाबदारी है। मेरी, आपकी अपने बच्चों के प्रति जवाबदारी है और इसलिए, हमने सोचा है कि आंगनवाड़ी केवल सरकार न चलाए, सरकार के साथ समाज को भी जोड़ा जाए। इस उद्देश्य से हमने आंगनवाड़ी गोद लें अभियान प्रारंभ किया है।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी ने मुख्यमंत्री की पहल का स्वागत करते हुए कहा,प्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान ने आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए खिलौने जुटाने की जो पहल की है, इससे न सिर्फ इन बच्चों के जीवन में खुशियां आएंगी, बल्कि उनकी इस पहल ने प्रदेश के जन-जन को आंगनबाड़ी के बच्चों से जोड़ दिया है। यही वजह है कि बड़ी संख्या में लोग बच्चों के लिए खिलौने और अन्य खेल सामग्री देने के लिए आगे आ रहे हैं।

वहीं दूसरी और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री की पहल पर तंज कसा है। कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि मुख्यमंत्री चौहान ने शासनकाल के 17 वर्षों बाद आंगनवाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों की सुध ली। उन बच्चों के लिए खिलौने एकत्रित करने ठेले पर निकले। विडम्बना देखिये आंगनवाडियों में पढ़ने वाले बच्चों को शिवराज के फोटों वाले बड़े-बड़े विज्ञापन और समाचार पत्रों की सुर्खियों के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ। गंभीर कुपोषण का शिकार मध्यप्रदेश के बच्चों के लिए न तो पोषण आहार उपलब्ध है, न आंगनवाड़ियों में कोई संसाधन।

पूर्व मंत्री पी सी शर्मा और मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि मध्यप्रदेश में कुल स्वीकृत आंगनवाड़ी 97135 है। इनमें से 32,338 आंगनवाडियों में बच्चों के लिए शौचालय उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा बच्चों के लिए अनिवार्य चिकित्सा किट 50979 आंगनवाड़ियों और शिक्षा किट 24275 आंगनवाड़ियों में उपलब्ध नहीं है।

कांग्रेस का आरोप है कि 8623 आंगनवाड़ियों में खाने के लिए थालियां तथा 12235 आंगनवाड़ियों में पीने के पानी के गिलास उपलब्ध नहीं है।

गुप्ता का कहना है कि, मुख्यमंत्री ने ठेला निकालकर आठ ट्रक खिलौने आंगन वाड़ी के बच्चों के लिये कथित रूप से इकट्ठे किये हैं। बच्चों के प्रति उनकी चिंता जायज हो सकती है क्योंकि प्रदेश में 10 लाख बच्चे कुपोषित हैं। ठिगने बच्चों की संख्या भी बढ़ रही है। आंगनवाड़ियों को चलाने के लिये सरकार के पास भरपूर बजट तो है ही। कुपोषण दूर करने के लिये केन्द्रीय अनुदान भी मिलता है। फिर भी सरकार इन समस्यायों को 17 साल में हल नहीं कर पाई है।

गुप्ता की मांग है कि सरकार बताये जो 94 करोड़ के खिलौने मार्च 2020 तक लघु उद्योग निगम के माध्यम से कमलनाथ की सरकार ने प्रदाय किये थे वे कहां गये, कि सरकार को दो साल में ही ठेला निकालकर मांगीलाल बनने की आवश्यकता क्यों पड़ गयी।

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