वेंकैया नायडू ने सांसदों को दी सीख, 100 दिन तो चले संसद
राज्य सभा सभापति ने संसद के वर्ष में कम से कम 100 दिन चलने की वकालत करने के साथ-साथ राज्यों के विधानसभाओं को भी साल भर में कम से कम 90 दिन चलाने की वकालत की.
highlights
- सभापति ने 100 दिन संसद चलने की वकालत की
- पारदर्शिता लाने लोक लेखा समिति समय की जरूरत
- सरकार में रहने पर चिंता, विपक्ष होते ही रुख बदलते
नई दिल्ली:
राज्य सभा में लगातार जारी हंगामे और सदन का कामकाज सुचारू ढंग से नहीं चल पाने से दुखी उपराष्ट्रपति एवं राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा है कि संसद की कार्यवाही वर्ष में कम से कम 100 दिन चलनी ही चाहिए और सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए. भारत की लोक लेखा समिति के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में संसद भवन में आयोजित दो दिवसीय समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में बोलते हुए वेंकैया नायडू ने कहा कि सदन प्रभावी और अर्थपूर्ण तरीके से चले यह सभी को सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल जब विपक्ष में रहते हैं तो वर्ष भर में 100 दिन सदन चलाने की वकालत करते हैं, लेकिन सरकार में आने के बाद इस मांग की चिंता नहीं करते हैं.
राज्य सभा सभापति ने संसद के वर्ष में कम से कम 100 दिन चलने की वकालत करने के साथ-साथ राज्यों के विधानसभाओं को भी साल भर में कम से कम 90 दिन चलाने की वकालत की. लोक लेखा समिति को संसद की सभी समितियों की मां की संज्ञा देते हुए वेंकैया नायडू ने इस बात पर भी चिंता जताई कि सांसद समितियों की बैठक को गंभीरता से नहीं लेते और अनुपस्थित रहते हैं. उन्होंने सभी को आत्मावलोकन करने की भी सलाह दी.
सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में लोक लेखा समिति की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एक समय कहा था कि 1 रुपये में से सिर्फ 16 पैसा जरूरतमंद लोगों तक पहुंच पाता है, यह किसी पर आरोप से ज्यादा व्यवस्था पर उठाया गया सवाल था, लेकिन आज वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में जरूरतमंद लोगों को सीधे उनके खाते में पैसा भेजा जा रहा है.
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