लोकसभा ने कंपनी संशोधन विधेयक को मंजूरी प्रदान की
लोकसभा ने शनिवार को ‘कंपनी (संशोधन) विधेयक-2020’ को मंजूरी प्रदान की जिसके तहत कुछ अपराधों को आर्थिक जुर्म की श्रेणी से बाहर निकाला गया है.
दिल्ली:
लोकसभा ने शनिवार को ‘कंपनी (संशोधन) विधेयक-2020’ को मंजूरी प्रदान की जिसके तहत कुछ अपराधों को आर्थिक जुर्म की श्रेणी से बाहर निकाला गया है. विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि गंभीर किस्म के आपराध आर्थिक जुर्म की श्रेणी में पहले की तरह बने रहेंगे.
सीतारमण ने कहा कहा कि इस अधिनियम के दायरे में सिर्फ बड़ी कंपनियां नहीं, बल्कि छोटे-छोटी कंपनियां भी हैं. उन्होंने कहा कि ‘गैर-समाधेय (नॉन कंपाउंडेबल) अपराधों को आर्थिक जुर्म की श्रेणी से बाहर नहीं रखा गया है. इस तरह के अपराधों की संख्या 35 थी और आज भी यही रहेगी. ‘कंपनी (संशोधन) विधेयक-2020 पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि कोरोना संकट के समय गरीबों के बजाय सूट-बूट वालों को मदद दी जा रही है.इससे साबित होता है कि इस सरकार की प्राथमिकताएं कतार के आखिरी आदमी के लिए नहीं, बल्कि पूंजीपतियों के लिए हैं.
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उन्होंने कहा कि यह विधेयक और पिछले दिनों लोकसभा से पारित किए गए कृषि संबंधी विधेयकों का मकसद बड़े बड़े औद्योगिक घरानों को खेती और किसानी में आमंत्रित करना है. कांग्रेस सांसद ने कहा कि सरकार की मंशा है कि कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) को कमजोर किया जाए.
उन्होंने कहा कि सरकार ने जो डर का माहौल पैदा किया कि उससे अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई और अब सुधार का जो प्रयास कर रही है उसमें वह स्थिति खराब कर देगी. चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से सरकार ने साबित किया है कि वह मुश्किल समय में भी प्रभावी कदम उठाती है.
उन्होंने कहा कि विधेयक को तैयार करने की प्रकिया में सभी संबंधित पक्षों से विस्तृत चर्चा की गई. अपराजिता ने कहा कि इस संशोधन विधेयक से कारोबारी सुगमता को बढ़ावा मिलेगा और निवेशकों का विश्वास भी बढ़ेगा. भाजपा सदस्य ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से सीएसआर से जुड़ी पहल को बल मिलेगा. तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि सरकार को सीएसआर में ज्यादा पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए.
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वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के कोटागिरी श्रीधर ने कहा कि आंध्र प्रदेश को बकाये की राशि प्रदान की जाए. शिवसेना के अरविंद सावंत ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि स्टार्ट अप पर इतना बड़ा निवेश हुआ है तो परिणाम क्या निकला है. बसपा सांसद मलूक नागर ने कहा कि सरकार ने कोरोना संकट के समय कारोबार को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं क्योंकि इस वक्त लोगों को नौकरियों की जरूरत है.
कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार से यह पूछना चाहिए कि वह कारपोरेट जगत को कितनी सुविधाएं देगी. जदयू के दिनेश्वर कामत, बसपा के दानिश अली और कुछ अन्य नेताओं ने चर्चा में भाग लिया.
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