राजनीतिक दलों के बीच जंग तो एक बात मगर बिहार में तो सत्तारूढ़ दल जेडी (यू) के अंदर जंग छिड़ी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दल के अंदर महाभारत और वो भी नीतीश कुमार के करीबियों के बीच. पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और रणनीतिकार प्रशांत किशोर बनाम दूसरे तमाम वरीय नेताओं के बीच अब दरारें साफ दिखने लगी है. प्रशांत किशोर को पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और नीतीश कुमार के करीबी कहा जाता है. 2015 के चुनाव में महागठबंधन की जो सरकार बनी थी वो उसके सूत्रधार थे और अब सार्वजनिक मंच से भी प्रशांत किशोर बताने लगे हैं की वो कैसे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बनाते हैं. ये तो एक बात, पार्टी नेताओं के तेवर तल्ख की प्रशांत किशोर किंगमेकर की भूमिका में कैसे, नीतीश कुमार के सिरमौर बनने के पीछे प्रशांत कैसे? इस बीच प्रशांत किशोर का एक और बयान वायरल हुआ. इस बयान में प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार को महागठबंधन से निकलने के बाद बीजेपी के साथ के बजाय चुनाव में जाना चाहिए था. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद आर सी पी सिंह ने प्रशांत के बयान खारिज कर दिया.
जेडी (यू) के जानकार सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि प्रशांत किशोर की 'एंट्री' के समय से ही पार्टी के कई नेता नाखुश थे. उपाध्यक्ष पीके के हालिया बयानों से लग रहा है कि उनके और पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार के बीच शायद सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. यही वजह है कि पीके के खिलाफ पार्टी में स्वर मुखर होने लगे हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश से पीके की नजदीकी किसी से छिपी नहीं थी, यही कारण है कि जब उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत जेडी (यू) से की तो उनसे नाराज लोग भी नीतीश से नजदीकी के कारण कुछ नहीं बोल पा रहे थे.
इस पर पलटवार करते हुए उन्होने उल्टा उन के राजनीतिक सफर की विवेचना इशारों में की. प्रशांत किशोर का पहली बार खुल कर विरोध किया. इधर बीजेपी कोटे के मंत्री भी प्रशांत किशोर के इस बयान से असहज महसूस करने लगे हैं. मगर विपक्ष तो अब इन बयान के मायने निकाल रहा है. नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ इस गठबंधन को अनैतिक कहने वाले विपक्ष को मिला है मौका. फिलहाल सियासी आग लगी है और इसकी जलन नीतीश कुमार और उनकी पार्टी को लंबे समय तक रहेगी.
Source : News Nation Bureau