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लोकसभा चुनाव 2019: इस चुनाव में भी इन नेताओं ने हिंदू-मुस्लिम का कार्ड खेला, देखें किसने क्या कहा

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) में आचार संहिता का उल्लंघन कोई नई बात नहीं है. कई नेता हैं जो अपने कर्मों से आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं, तो वहीं कई नेता हैं जिनके मुंह खोलते ही आचार संहिता का अपने आप उल्लंघन हो जाता है.

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) में आचार संहिता का उल्लंघन कोई नई बात नहीं है. कई नेता हैं जो अपने कर्मों से आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं, तो वहीं कई नेता हैं जिनके मुंह खोलते ही आचार संहिता का अपने आप उल्लंघन हो जाता है.

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Yogendra Mishra
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लोकसभा चुनाव 2019: इस चुनाव में भी इन नेताओं ने हिंदू-मुस्लिम का कार्ड खेला, देखें किसने क्या कहा

सांकेतिक फोटो

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) में आचार संहिता का उल्लंघन कोई नई बात नहीं है. कई नेता हैं जो अपने कर्मों से आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं, तो वहीं कई नेता हैं जिनके मुंह खोलते ही आचार संहिता का अपने आप उल्लंघन हो जाता है. या यूं कहें कि कि ये नेता अपना मुंह आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए ही खोलते हैं. चुनाव आयोग ने कहा है कि जाति और धर्म के नाम पर वोट न मांगा जाए. फिर भी लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) में हिंदू-मुस्लिम का जिन्न आखिर आ ही गया है. आइए जानते हैं कि किन-किन नेताओं ने हिंदू मुस्लिम का कार्ड खेला है.

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मायावती

हमेशा भाजपा को सांप्रदायिक पार्टी कहने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने लोकसभा चुनाव 2019 में सबसे पहले हिंदू मुस्लिम का कार्ड खेला है. सहारनपुर में 7 अप्रैल को महागठहबंधन की एक रैली में उन्होंने कहा कि ''मैं मुस्लिम समाज के लोगों से कहना चाहती हूं कि कांग्रेस के पास इतनी ताकत नहीं है कि वो भाजपा को हरा सके. यह ताकत सिर्फ महागठबंधन में है. इस लिए मैं चाहूंगी कि आप सभी महागठबंधन को वोट करें.''

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आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2014 में बसपा ने एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं की थी. यूपी विधानसभा के चुनाव में भी बसपा ने सिर्फ 19 सीटों पर जीत हासिल की थी. जिसके बाद मायावती ने EVM पर सवाल उठाए थे. और कहा था कि भाजपा ने ईवीएम के बल पर जीत हासिल की है.

योगी आदित्यनाथ

मेरठ में 9 अप्रैल को एक रैली को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने मायावती को जवाब देते हुए कहा कि महागठबंधन और कांग्रेस को अली पर भरोसा है तो हमें भी बजरंगबली पर भरोसा है.

यह भी पढ़ें- राजनीति में फिर आए बजरंगी बली, सीएम योगी ने कहा विपक्षियों के पास 'अली' तो हमारे पास 'बजरंगबली'

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता योगी आदित्यनाथ राजनीति में अब बजरंगबली की एंट्री करवाने के लिए मशहूर हो रहे हैं. मध्य प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को अली पर भरोसा है तो हमें भी बजरंगबली पर भरोसा है. जिसके बाद इस मुद्दे पर जमकर राजनीति हुई थी. हालांकि भाजपा के ही नेता इस बयान से कन्नी काटने लगे थे.

आजम खां

जब राजनीति में धर्म पर बयानबाजी चल रही हो तो समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां (Azam Khan) भला कैसे पीछे रहते. उन्होंने भी रामपुर में एक चुनावी रैली में बजरंगबली का नाम ले लिया. उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता पिछली बार हनुमान जी की जाति ढूढ़ रहे थे.कोई कह रहा था वो दलित थे, किसी ने कहा कि वो ठाकुर थे, तो किसी ने कहा कि वो जाट थे लेकिन एक मुसलमान ने कहा कि हनुमानजी मुसलमान थे.

सारा झगड़ा ही खत्म हो गया. आज से बजरंग और अली साथ है. इस रैली में उन्होंने बजरंगअली, बजरंगअली के नारे भी लगाए. इसी रैली में उन्होंने पीएम मोदी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान चाहता है कि मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनें. अब आप बताइए कि पाकिस्तान का एजेंट कौन है?

साक्षी महाराज

लोकसभा चुनाव 2019 में साक्षी महाराज (sakshi maharaj) ने वोट लेने के लिए एक बेहतरीन तरकीब अपनाई है. एक रैली में उन्होंने कहा कि वह संन्यासी है. ''एक सन्यासी जब घर के आगे भिक्षा मांगते है और उसे वह भिक्षा नहीं मिलती तब वह सन्यासी रूठ कर श्राप देता है. जिससे घर के सभी पुण्य नष्ट हो जाते हैं.

यह बात शास्त्रों में लिखी है. इसलिए 29 तारीख को सिर्फ कमल पर ही बटन दबाना है.'' साक्षी महाराज उन्नाव से भाजपा के सांसद हैं और लोकसभा चुनाव 2019 के लिए भाजपा के प्रत्याशी भी हैं. साक्षी महाराज का टिकट उन्नाव से कटता नजर आ रहा था लेकिन बाद में पार्टी ने उन्हें टिकट दे दिया. आपको बता दें कि चौथे चरण के अंतर्गत 9 राज्यों की 71 लोकसभा सीट पर 29 अप्रैल को मतदान होगा. उन्नाव लोकसभा सीट पर भी चौथे चरण के अंतर्गत मतदान होगा.

मेनका गांधी

मेनका गांधी (Maneka Gandhi) उन नेताओं में से नहीं हैं जो अपने बयानों के कारण चर्चा में हों. लेकिन इस बार उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया है जो चर्चा का विषय बन गया है. उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि ''अगर मेरी जीत मुसलमानों के बिना होगी तो मुझे बहुत अच्छा नहीं लगेगा.

क्योंकि फिर दिल खट्टा हो जाता है. फिर जब मुसलमान आता है काम के लिए तो फिर मैं सोचती हूं, कि नहीं रहने ही दो. क्या फर्क पड़ता है. आखिर नौकरी सौदेबाजी भी तो होती है. ये इलेक्शन तो मैं पार कर चुकी, अब आपको मेरी जरूरत पड़ेगी. अब आपको इस जरूरत के लिए नींव डालना है. आपके पोलिंग बूथ का जब रिजल्ट आएगा तो 100 वोट 50 वोट निकलेंगे. फिर जब आप काम के लिए आएंगे तो वहीं होगा आपके साथ, समझ गए न आप लोग''.

Source : News Nation Bureau

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