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Lockdown Effect : व्‍हाटसएप पर हो रहा रामचरितमानस का पाठ तो शास्त्रीय नृत्य की ऑनलाइन ट्रेनिंग भी

कोरोना वायरस संक्रमण (Corona Virus Infection) के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान यहां 'डिजिटल इंडिया (Digital India)' एक नये रूप में साकार हो रहा है.

Updated on: 27 Apr 2020, 03:13 PM

लखनऊ:

कोरोना वायरस संक्रमण (Corona Virus Infection) के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान यहां 'डिजिटल इंडिया (Digital India)' एक नये रूप में साकार हो रहा है. बच्चों की ऑनलाइन पढाई के साथ ही कहीं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग चल रही है तो कहीं व्हाटसऐप पर रामचरित मानस का सामूहिक पाठ हो रहा है, कहीं सब एक साथ योग कर रहे हैं और कहीं अध्यात्म की गंगा बह रही है. इसके साथ ही तरह तरह के नुस्खे साझा किए जा रहे हैं और शास्त्रीय नृत्य का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. लॉकडाउन के दौरान लोगों में धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना जागृत करने में संलग्न डा. अर्चना श्रीवास्तव और 12 अन्य परिवार मिलकर ऑनलाइन रामचरित मानस का पाठ करते हैं.

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डा. अर्चना ने 'भाषा' से कहा, ''अपने-अपने घरों से मानस को विराम और विभाजित करके इस दृढ़ संकल्प के साथ अंत में एक साथ पढ़कर समाप्त करने का दृढ़ संकल्प लिया . हमने शुरूआत में सुबह 11 बजे से अगले दिन दोपहर डेढ बजे एक साथ आनलाइन आकर वीडियो कॉलिंग से आरती के साथ इसका समापन किया .'' उन्होंने बताया कि लगातार पढ़ने के लिए गूगल डुओ की मदद ली गई और पाठ संपन्न होने पर सबने अपने अपने यहां बनाया प्रसाद ग्रहण किया और परिवार के सभी सदस्यों में वितरित किया. इस पाठ से सभी में एक नयी ऊर्जा का संचार हुआ. कथक गुरू उमा त्रिगुणायत का कहना था कि वह लॉकडाउन अवधि में छोटे बच्चों को कथक के टिप्स व्हाटसऐप, मोबाइल ऐप और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दे रही हैं.

भातखंडे संगीत सम विश्वविद्यालय से कथक में विशारद अंजुमिता ने कहा कि नरेन्द्र मोदी जिस डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, वह लॉकडाउन के दौरान अपने चरम पर नजर आ रहा है. राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के हरे भरे पार्क बाटनिकल गार्डन में योग प्रशिक्षण देने वाले फिटनेस गुरू शिवम कुमार के जापलिंग रोड स्थित आवास से सुबह तीन घंटे तथा शाम को दो घंटे का योग सत्र निर्बाध जारी है फर्क सिर्फ इतना है कि पहले उनके विद्यार्थी उनके सामने योग किया करते थे, जबकि अब मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से कक्षा ली जाती है.

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राजधानी स्थित नव योग फाउण्डेशन के संस्थापक राजीव तिवारी बाबा ने ‘नव योग’ के नाम से डिजिटल संसार में जगह बनाई है . उन्होंने 'भाषा' से बातचीत में कहा, '‘मैं हवाई अड्डे के निकट कानपुर रोड पर रहता हूं और सुबह पांच बजे से मोबाइल ऐप या वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुदूरवर्ती गोमतीनगर, चिनहट, तेलीबाग, ठाकुरगंज जैसे राजधानी के इलाकों तथा श्रावस्ती, बलिया, कानपुर, झांसी, बांदा, प्रयागराज जैसे जिलों में लोगों को एक साथ 'नव योग' का प्रशिक्षण देता हूं. अब ऑनलाइन प्रशिक्षण का दायरा बढ़कर अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप के देशों तक पहुंच गया है. फेसबुक लाइव के जरिए लोग योग से अपने जीवन को बेहतर बनाना सीख रहे हैं.

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण अपने घरों में कैद लोग योग के माध्यम से एक दूसरे से जुड़ रहे हैं. 'दूर होने के बावजूद एक दूसरे के सम्मुख होने का भाव' अपने आप में नया विचार है इसलिए पसंद किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि डिजिटल माध्यम से 'नव योग' सीखने वालों की फेहरिस्त में कई रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस अधिकारी, निजी कंपनियों में काम करने वाले लोग, गृहिणियां, खिलाड़ी, शिक्षक और युवा शामिल हैं. आर्गेनिक खेती को लेकर भूमि पर तमाम प्रयोग कर रहे और विश्व स्वास्थ्य संगठन की परियोजनाओं पर कार्य कर चुके वैज्ञानिक डा. अटल कुमार शुक्ला और डा. बीबी सिंह ने कहा, ''हम गूगल डुओ और वेबेक्स मीटिंग की मदद से दोपहर में गृहिणियों को आर्गेनिक मसाले तैयार करने के टिप्स नियमित रूप से दे रहे हैं.''

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साहित्यकार नरेन्द्र कोहली के राम और कृष्ण विषयक उपन्यासों पर शोध करने वाली लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध एक पीजी कालेज की शिक्षक डा. सीमा दुबे ने कहा, ''मोबाइल और इंटरनेट क्रान्ति ने कवि सम्मेलनों की दशा और दिशा भी बदली है . प्रयोग के तौर पर ही सही, मित्र मंडली और कई युवा कवि एवं साहित्यकार एक दूसरे से जुड़कर आनलाइन कवि सम्मेलन संपन्न कर लेते हैं . बाकायदा एक संचालक होता है और सभी एक एक कर कविता पाठ करते हैं .''

महिला अधिकार कार्यकर्ता दिव्या पुलारू ने बताया कि रसोईघर में व्यंजन बनाने के सजीव विवरण सहित देश दुनिया, राजनीति, कोरोना संकट और बीच बीच में गीत संगीत हंसी मजाक ये सब होता है . डिजिटल दुनिया ने हमारी सोच को एक नयी दिशा दी है.