logo-image

जम्मू-कश्मीर में अपने स्वार्थी उद्देश्यों के लिए भ्रम फैला रहें स्थानीय नेता: राम माधव

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की तैनाती या फिर पलायन एक सतत प्रक्रिया है.

Updated on: 31 Jul 2019, 06:53 PM

highlights

  • J&K में जवानों की तैनाती पर नाराज स्थानीय नेता
  • J&K में तैनात किए गए 10000 अतिरिक्त जवान
  • स्थानीय नेता निजी स्वार्थों के लिए कर रहे विरोध

नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी के महासचिव जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों की तैनाती पर स्थानीय नेताओं द्वारा स्थानीय लोगों में भ्रम फैलाने को लेकर मीडिया से बातचीत में बताया कि जम्मू-कश्मीर के स्थानीय नेता अपने स्वार्थपूर्ण उद्देश्यों के लिए यहां पर डरावना माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की तैनाती या फिर पलायन एक सतत प्रक्रिया है. केंद्र सरकार यहां की स्थितियों को देखते हुए उचित कदम उठा रही है.


राम माधव ने आगे कहा कि, अमरनाथ यात्रा के दौरान यहां अतिरिक्त बलों की तैनाती की जाती है, हमें ब्लॉक-स्तरीय चुनाव भी कराने होंगे. लेकिन इसे स्थानीय नेता अपने स्वार्थी उद्देश्यों के लिए किसी और मामले से जोड़ना चाहते हैं. अब जब भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की जा रही है तब वो खुद को बचाने के लिए नाटक कर रहे हैं. आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में भारी सुरक्षा बलों की तैनाती की जा रही है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने काउंटर टेररिस्ट ग्रिड की अहम बैठक की थी जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों के पास आतंकी हमले का इनपुट मिला है. इस आतंकी हमले के खतरे को देखते हुए कश्मीर घाटी में अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियां यानी 10000 जवान तैनात किए गए हैं. घाटी में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती पर भी स्थानीय नेताओं न सियासत शुरू कर दी है.

यह भी पढ़े-कॉल ड्रॉप से सुप्रीम कोर्ट के जज परेशान, टेलीकॉम कंपनियों का पक्ष रख रहे वकील को लगाई फटकार

जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त जवानों की तैनाती पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा ने कहा था, केंद्र सरकार को कश्मीर नीति पर एक बार फिर से विचार करना होगा और उसे और उसे दुरुस्त करना होगा. महबूबा ने ट्वीट कर कहा, ‘घाटी में अतिरिक्त 10,000 सैनिकों को तैनात करने के केंद्र के फैसले ने लोगों में भय पैदा कर दिया है. कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है. जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है जिसे सैन्य तरीकों से हल नहीं किया जा सकता. भारत सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार और उसे दुरूस्त करने की जरूरत है.'  

यह भी पढ़े-बिहार में राष्ट्रीय मेडिकल आयोग बिल के विरोध में चिकित्सक हड़ताल पर, मरीज परेशान