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'ट्रिपल तलाक' वैध या अवैध, सुप्रीम कोर्ट में फैसला आज, जानिए क्या है पूरा मामला

देश के सबसे विवादित मुद्दों में से एक ट्रिपल तलाक (तीन तलाक) पर आज सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है। चीफ जस्टिस जे. एस खेहर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच सुबह करीब 10.30 बजे इस पर फैसला दे सकती है।

Updated on: 22 Aug 2017, 08:18 AM

highlights

  • ट्रिपल तलाक वैध या अवैध फैसला होगा आज
  • सुप्रीम कोर्ट सुबह 10.30 बजे सुना सकती है फैसला

नई दिल्ली:

देश के सबसे विवादित मुद्दों में से एक ट्रिपल तलाक (तीन तलाक) पर आज सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है। चीफ जस्टिस जे. एस खेहर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच सुबह करीब 10.30 बजे इस पर फैसला दे सकती है। पिछले कई महीनों से सुप्रीम कोर्ट में इसपर सुनवाई चल रही थी और ये मुद्दा देश में छाया रहा।

भारतीय जनता पार्टी ने इसे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया था और मुस्लिम महिलाओं ने खुल कर बीजेपी को इस मुद्दे पर समर्थन भी दिया था। 15 अगस्त को भी पीएम मोदी ने अपने भाषण में ट्रिपल तलाक का जिक्र किया था और कहा था वो इससे महिलाओं को आजादी दिलाने की पूरी कोशिश करेंगे।

मुस्लिम महिला शायरा बानो के तलाक केस ने ही ट्रिपल तलाक पर बहस को जन्म दिया। अगर मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में ये फैसला आता है तो भारतीय समाज और राजनीति में इससे बड़ा बदलाव आएगा। ट्रिपल तलाक का मुद्दा साल 2016 में सुर्खियों में आया था। यहां हम आपको बता रहे हैं कैसे ट्रिपल तलाक का मुद्दा मुस्लिम घरों से निकल कर राष्ट्रीय मुद्दा बन गया।

साल 2016

5 फरवरी - तीन तलाक, निकाह हलाला और बहु विवाह के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को मदद देने को कहा।

28 मार्च - सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को महिलाओं से जुड़े कानून पर रिपोर्ट देने का आदेश दिया जिसमें शादी, तलाक, संपत्ति और उत्तराधिकार जैसे अहम मुद्दे शामिल थे।

29 जून - सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक की परंपरा को संविधान के तहत परखा जाएगा।

7 अक्टूबर - भारत के इतिहास में पहली बार केंद सरकार ने ट्रिपल तलाक को लिंग के आधार पर मूल अधिकारों का हनन मानते हुए इस सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सरकार ने कोर्ट से इस पर विचार करने की अपील की।

9 दिसंबर - इलाहाबाद कोर्ट में तीन तलाक के एक केस पर सुनवाई हुई जिसपर कोर्ट ने इसे असंवैधानिक तो नहीं बताया लेकिन कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के मूल अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता।

साल 2017

14 फरवरी - सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे से जुड़े सभी मालमों की सुनवाई एक साथ की जाएगी।

16 फरवरी - सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक पर सुनवाई के लिए पांच जजों की संवैधानिक पीठ बनाने का फैसला किया। इस संवैधानिक पीठ को तीन तलाक, निकाल हलाला और बहुविवाह पर फैसला करनी की जिम्मेदारी दी गई।

27 मार्च - ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा तीन तलाक से जुड़ी याचिकाएं कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।

30 मार्च - सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक के मसले को बेहद अहम बताया और कहा कि इससे भावनाएं जुड़ी हुई हैं। इस मसले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई से करने का फैसला किया।

11 अप्रैल - केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक पर अपना पक्ष रखते हुए बताया ये प्रथा मुस्लिम महिलाओं के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।

16 अप्रैल - ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मुद्दे पर बोर्ड ने एक आचार संहिता बनाने का फैसला किया है। शरिया कानून के मुताबिक तीन तलाक नहीं देने पर उस व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।

18 अप्रैल - केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए उस वक्त अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा तीन तलाक की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। रोहतगी ने कहा कि महिलाओं को भी पुरुषों के तरह समान अधिकार हैं। ऐसे में उनसे असमानता का व्यवहार नहीं किया जा सकता।

3 मई - सुप्रीम कोर्ट ने सलमान खुर्शीद को तीन तलाक, बहु विवाह और निकाह हलाला पर एमिकस क्यूरी (कोर्ट को मदद करने वाले वकील) नियुक्त कर दिया।

11 मई - सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस बात पर फैसला किया जाएगा कि मुस्लिम समुदाय में प्रचलित तीन तलाक संविधान के दायरे में है या नहीं।

12 मई - सुप्रीम कोर्ट ने कहा तीन तलाक शादी को खत्म करने का सबसे खराब तरीका है और इसे किसी भी तरह स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसे अवैध ठहराने की भी सिफारिश की गई।

15 मई - अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुनवाई के दौरान कहा अगर सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक को असंवैधानिक करार देती है तो केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय में शादी को नियमित करने के लिए नया कानून बना सकती है।

16 मई - ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने कोर्ट में दलील दी कि 1400 साल से तीन तलाक की परंपरा है। इसलिए आस्था के मामले में संवैधानिक नैतिकता और समानता का सवाल नहीं आता है।

17 मई - सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से पूछा कि क्या मुस्लिम महिलाओं को निकाहनामा के दौरान तीन तलाक मानने से इनकार करने का अधिकार है। कोर्ट ने ये भी पूछा कि क्या शादी कराने वाले काजी इस शर्त के लिए राजी होंगे।

18 मई - सुनवाई के आखिरी दिन ट्रिपल तलाक के विरोध में मुख्य याचिकाकर्ता सायराबानो के वकील ने तीन तलाक को पाप बताया। आखिरी दिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील से देश के प्रधान न्यायाधीश खेहर ने पूछा कि क्या यह संभव है कि किसी महिला को ये अधिकार दिए जाएं कि वो निकाह के समय तीन तलाक को स्वीकार नहीं करेगी। सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

गौरतलब है कि जो बेंच इस फैसले को सुनाने वाली है, उसमें विभिन्न धर्मों से ताल्लुक रखने वाले जज शामिल हैं। चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख), जस्टिस कुरियन जोसफ (ईसाइ), जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन (पारसी), जस्टिस यूयू ललित (हिंदू) और जस्टिस अब्दुल नजीर (मुस्लिम) हैं।