'मन की बात' में बोले पीएम मोदी, यूरिया जैसे उर्वरक के इस्तेमाल से धरती मां हो रही बीमार, किसान रखें ख्याल

गुजरात विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र माना जा रहा है कि पीएम मोदी आज से ही अपने अभियान की भी शुरुआत करेंगे।

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Deepak Kumar
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'मन की बात' में बोले पीएम मोदी, यूरिया जैसे उर्वरक के इस्तेमाल से धरती मां हो रही बीमार, किसान रखें ख्याल

किसान धरती माता का रखें ख़्याल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 38वीं बार 'मन की बात' कार्यक्रम को संबोधित किया।

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पीएम मोदी ने अपने कार्यकम की शुरुआत बाल दिवस के मौके पर कर्नाटक में बच्चों से हुई बातचीत से की।

वहीं 26/11 की बरसी को याद करते हुए पीएम मोदी ने 9 साल पहले हुए मुबई हमले को भी याद किया। उन्होंने कहा कि इस दिन को हमारा देश कभी नहीं भूल सकता।

मोदी ने कहा कि देश उन बहादुर नागरिकों, पुलिसकर्मियों, सुरक्षाकर्मी, को स्मरण करता है, उनको नमन करता है जिन्होंने इस हमले में अपनी जान गंवाई।

देश कभी उनके बलिदान को नहीं भूल सकता।

आतंकवाद के मुद्दे पर पीएम मोदी ने कहा कि इसके कारण हजारों निर्दोश लोगों ने अपनी जान गंवाई है।

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पीएम ने कहा कि कुछ साल पहले भारत जब आतंकवाद के बारे में बात करता था तो दुनिया के देश इस पर गंभीर नहीं होते थे लेकिन अब आतंकवाद उनके दरवाजे पर दस्तक दे रहा है वो भी समझने लगे।

'मन की बात' कार्यक्रम की मुख्य बातें

# मेरे प्यारे देशवासियों, अगले महीने, अगली ‘मन की बात’ के लिए फिर आपके बीच आऊँगा | ढ़ेर सारी बातें करने का अवसर मिलेगा | बहुत-बहुत धन्यवाद।

# क्या इस बार हम इस वर्ष के अपने जीवन के 5 सकारात्मक अनुभव साझा कर सकते हैं ? NarendraModi App पर, MyGov पर या सोशल मीडिया पर के साथ सकारात्मक बातों को शेयर करें।

# शायद दुनिया-भर में होता है कि वर्ष के अंत में जब लेखा-जोखा करते हैं, चिंतन-मनन करते हैं , मंथन करते हैं और अगले वर्ष के लिए योजनाएं बनाते हैं।

# कुछ दिन बाद ‘ईद-ए-मिलाद-उन-नबी’ का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन पैगम्बर हज़रत मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था। मैं सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूं।

आपको भी सुन करके आश्चर्य होगा कि मध्यप्रदेश के एक 8 वर्षीय दिव्यांग बालक तुषार ने अपने गाँव को खुले में शौच से मुक्त कराने का बीड़ा उठा लिया।

# ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज अब हम सब लोग अनुभव करने लगे हैं। वो भी एक वक़्त था कि दीवाली के पहले सर्दी आ जाती थी। अब दिसम्बर दस्तक दे रहा है और सर्दी बहुत धीरे-धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही है।

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किसान तो धरती का पुत्र है, किसान धरती-माँ को बीमार कैसे देख सकता है? समय की माँग है, इस माँ-बेटे के संबंधों को फिर से एक बार जागृत करने की।

# हम धरती-माता की भक्ति करते हैं पर धरती-माता को यूरिया जैसे उर्वरक से धरती-माँ के स्वास्थ्य को कितनी हानि होती है, कभी सोचा है।

देश-भर में हमारे किसानों ने 10 करोड़ से अधिक सोइल हेल्थ कार्ड बनवा लिए हैं ताकि वे अपनी मिट्टी को बेहतर ढंग से समझ सकें और उस अनुरुप, फसल भी बो सकें।

# मुझे यह देख कर काफी ख़ुशी है कि मेरे किसान भाई मृदा–स्वास्थ्य कार्ड में दी गई सलाह पर अमल करने के लिए आगे आए हैं और जैसे-जैसे परिणाम मिल रहे हैं, उनका उत्साह भी बढ़ता जा रहा है।

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर ज़िले के भोरंज ब्लॉक के टोहू गाँव के किसानों के बारे में मैंने सुना था।

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इस देश के किसान के जीवन में, दोनों ही बातों का महत्व रहा है - अपनी मिट्टी के प्रति भक्ति और साथ-साथ वैज्ञानिक-रूप से मिट्टी को सहेजना – संवारना।

हम जो कुछ भी खाते हैं वो इस मिट्टी से ही तो जुड़ा हुआ है। एक तरह से पूरा फूड चेन, मिट्टी से जुड़ा हुआ है।

5 दिसम्बर को वर्ल्ड सोइल दे है। मैं अपने किसान भाई-बहनों से भी कुछ बातें करना चाहता हूं। पृथ्वी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है- मिट्टी

आर्म्ड फोर्सेज फ्लैग डे पर हम कुछ ऐसा करें, जिससे हमारे सशस्त्र बलों का मनोबल बढ़े, हम उनके कल्याण की दिशा में अपना योगदान दें।

स्वतंत्रता के बाद हमारी इंडियन नेवी ने विभिन्न अवसरों पर अपना पराक्रम दिखाया।

स्वतंत्रता के बाद हमारी भारतीय नौ-सेना ने विभिन्न अवसरों पर अपना पराक्रम दिखाया - चाहे वो गोवा का मुक्ति-संग्राम हो या 1971 का भारत-पाक युद्ध।

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जब हम नौ-सेना की बात करते हैं तो छत्रपति शिवाजी महाराज और नौ-सेना के उनके सामर्थ्य को कौन भूल सकता है ! कोंकण तट-क्षेत्र, जहाँ समुद्र की महत्वपूर्ण भूमिका है, शिवाजी महाराज के राज्य के अंतर्गत आता था।

जब हम, इतिहास की ओर नज़र करते हैं तो 800-900 साल पहले चोल-वंश के समय, चोल-नेवी को सबसे शक्तिशाली नौ-सेनाओं में से एक माना जाता था।

चाहे वो सिन्धु हो, गंगा हो, यमुना हो, सरस्वती हो - हमारी नदियाँ और समुद्र, आर्थिक और सामरिक दोनों दृष्टकोण से महत्वपूर्ण हैं | ये पूरे विश्व के लिए हमारा गेटवे है।

# 4 दिसम्बर को हम सब नौ-सेना दिवस मनाएंगें। भारतीय नौ-सेना, हमारे समुद्र-तटों की रक्षा और सुरक्षा प्रदान करती है। मैं, नौ-सेना से जुड़े सभी लोगों का अभिनंदन करता हूं।

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भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, गुरु नानक, महात्मा गांधी, ये ही तो ये धरती है जिसने अहिंसा और प्रेम का संदेश दुनिया को दिया है।

# विश्व की सभी मानवतावादी शक्तियों को एकजुट होकर आतंकवाद को पराजित करना होगा।

आतंकवाद ने विश्व की मानवता को ललकारा है। आतंकवाद ने मानवतावाद को चुनौती दी है।

हम, भारत में तो गत 40 वर्ष से आतंकवाद के कारण बहुत कुछ झेल रहे हैं। हज़ारों हमारे निर्दोष लोगों ने अपनी जान गंवाई है।

आतंकवाद आज विश्व के हर भू-भाग में और एक प्रकार से प्रतिदिन होने वाली घटना का, एक अति-भयंकर रूप बन गई है।

देश उन बहादुर नागरिकों, पुलिसकर्मियों, सुरक्षाकर्मी, उन हर किसी का स्मरण करता है, उनको नमन करता है जिन्होंने अपनी जान गंवाई, यह देश कभी उनके बलिदान को नहीं भूल सकता।

देश कैसे भूल सकता हैं कि नौ साल पहले 26/11 को, आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला बोल दिया था।

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सरदार साहब भी संविधान सभा के सदस्य रहे थे। वे मूलभूत अधिकारों, अल्प-संख्यकों और आदिवासियों पर बनी सुझाव समिती के भी अध्यक्ष थे।

15 दिसम्बर को सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि है। किसान-पुत्र से देश के लौह-पुरुष बने सरदार पटेल ने, देश को एक सूत्र में बाँधने का बहुत असाधारण कार्य किया था।

देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाने में बाबासाहेब का योगदान अविस्मरणीय है।

आज हम भारत के जिस संविधान पर गौरव का अनुभव करते हैं, उसके निर्माण में बाबा साहेब आंबेडकर के कुशल नेतृत्व की अमिट छाप है।

संविधान-सभा में महत्वपूर्ण विषयों पर 17 अलग-अलग समितियों का गठन हुआ था। इनमें से सर्वाधिक महत्वपूर्ण समितियों में से एक ड्राफ्टिंग समिती थी, और डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर, संविधान की उसके अध्यक्ष थे।

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आज, संविधान-दिवस के अवसर पर डॉ.बाबा साहेब आंबेडकर की याद आना बहुत स्वाभाविक है।

हमारा संविधान हर नागरिक, चाहे वह ग़रीब हो या दलित, पिछड़ा हो या वंचित, आदिवासी, महिला सभी के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करता है और उनके हितों को सुरक्षित रखता है। हमारा कर्तव्य है कि हम संविधान का अक्षरशः पालन करें।

सभी के लिए समानता और सभी के प्रति संवेदनशीलता, हमारे संविधान की पहचान है।

इसी संविधान के प्रकाश में संविधान-निर्माता महापुरुषों के विचारों के प्रकाश में नया भारत बनाना, हम सब का दायित्व है।

# 26 जनवरी 1950 को, संविधान लागू हुआ और इसीलिए हम, उसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं

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# आज 26 नवम्बर को हमारा संविधान दिवस है, 1949 में आज ही के दिन, संविधान-सभा ने भारत के संविधान को स्वीकार किया था।

कलबुर्गी से इरफ़ाना बेग़म ने लिखा है कि उनका स्कूल उनके गाँव से 5 किलोमीटर दूर है, उन्होंने सुझाव दिया है कि नज़दीक में कोई स्कूल होना चाहिए।

लक्ष्मेश्वरा से रीडा नदाफ़ ने लिखा है कि वो एक फौज़ी की बेटी है और उन्हें इस बात का गर्व है, कि कौन हिन्दुस्तानी न होगा जिसको फौज़ी पर गर्व न हो।

उत्तर कन्नड़ जिले की, कीर्ति हेगड़े ने डिजीटल इंडिया और स्मार्ट योजना की सराहना करते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि हमें अपनी शिक्षा-व्यवस्था में बदलाव की ज़रूरत है।

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Source : News Nation Bureau

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