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निर्भया रेप केसः सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को रखा बरकरार, चारों दोषियों अक्षय, मुकेश, पवन और विनय को होगी फांसी

देश को झकझोर देने वाले निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट थोड़ी देर में अपना फैसला सुनाएगा।

Updated on: 05 May 2017, 03:27 PM

नई दिल्ली:

निर्भया गैंग रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए चारों दोषियों को फांसी की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह अपराध ऐसा है जिसके लिये माफी की गुंजाइश नहीं थी। 

जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बानुमति की बेंच ने यह फैसला सुनाया। तीनों जजों ने आपसी समहति से इस सजा पर फैसला दिया।

LIVE UPDATES:

# फैसले से खुशी हुई है: निर्भया की मां

# सैद्धांतिक तौर पर मैं फांसी की सजा के खिलाफ हूं, लेकिन ये एक जघन्य अपराध था जिसमें कड़ी सजा सुनाया जाना ज़रूरी था: वृंदा करात, नेता, सीपीएम

# दिल्ली पुलिस की जांच सही पाई गई है, ये एक महत्वपूर्ण फैसला है: दीपेंद्र पाठक, प्रवक्ता, दिल्ली पुलिस

मुझे खुशी है कि ये फैसला आया है, पहले आता तो अच्छा होता

# कोर्ट को एक मिसाल पेश करनी थी: सुप्रीम कोर्ट  

# हमारे परिवार की जीत है, हमें खुशी है एस फैसले से

 # हमें न्याय नहीं मिला है हम पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे: एपी सिंह, दोषियों के वकील

# कड़ी सज़ा से समाज में भरोसा पैदा होगा: सुप्रीम कोर्ट

# ऐसी बर्बरता के लिये माफी की गुंजाइश नहीं: सुप्रीम कोर्ट

# लगता नहीं कि ये गुनाह इसी दुनिया में हुआ: सुप्रीम कोर्ट

# सर्वसम्मति से तीनों जजों ने लिया फैसला

# फैसला सुनाते ही कोर्ट में बजीं तालियां

# निर्भया कांड सदमे की सुनामी थी: सुप्रीम कोर्ट

# चारों दोषियों अक्षय, मुकेश, पवन और विनय को होगी फांसी

#  सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को रखा बरकरार, सभी दोषियों की होगी फांसी

# फैसला पढ़ रहे हैं सुप्रीम कोर्ट के जज दीपक मिश्रा

# निर्भया के माता पिता कोर्ट रूम में  मौजूद

पढ़ें, कब क्या हुआ ?

16 दिंसबर 2012 - सर्दी की कंपकपाती रात दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका इलाके में 6 लोगों ने चलती बस में निर्भया से बलात्कार किया जिसमें एक नाबालिग भी शामिल था। निर्भया उस वक्त अपने एक दोस्त के साथ फिल्म देखकर वापस लौट रही थी।

11 मार्च 2013 - गैंगरेप के एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली।

31 अगस्त 2013 - मामले की सुनवाई में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग को गैंगरेप का दोषी पाया और उसे 3 साल के लिए बाल सुधार गृह में भेजने का फैसला दिया।

29 जनवरी 2013 - सुप्रीम कोर्ट ने केस के ट्रांसफर की याचिका को खारिज कर दिया।

सितंबर 2013 - जिला कोर्ट में गैंगरेप के बाकी चार आरोपियों को जज योगेश खन्ना ने फांसी की सजा सुनाई।

13 मार्च 2014 - हाई कोर्ट में दो जजों की बेंच( रेवा खेतरपाल और प्रतिभा रानी) ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी।

15 मार्च 2014 - मामले की निष्पक्ष सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदलात से मिले सजा पर रोक लगा दी।

18 दिसंबर 2015 - गैंगेरप के नाबालिग आरोपी को जमानत देने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया।

3 अप्रैल 2016 - 19 महीने तक सुनवाई स्थगित रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट में निर्भया मामले की सुनवाई फिर शुरू हुई। जस्टिस दीपक मिश्रा, वी गोपाला गौड़ा और कुरियन जोसेफ की बेंच ने मामले की सुनवाई शुरू की।

8 अप्रैल 2016 - वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन और संजय हेगड़े को कोर्ट की तरफ से इस मामले में सलाहकार नियुक्त किया गया।

11 जुलाई 2016 - निर्भया मामले की सुनवाई करने वाले जजों के बेंच में बदलाव किया गया। नए बेंच में जस्टिस दीपक मिश्रा, आर भानूमति, औऱ अशोक भूषण को शामिल किया गया।

1 अगस्त 2016 - सुप्रीम कोर्ट के कोर्टरूम नंबर 4 में माले की सुनवाई शुरू हुई।

29 अगस्त 2016 - कोर्ट रूम में सबूत से छेड़छाड़ को लेकर खूब ड्रामा हुआ। पुलिस पर सबूत से छेड़छाड़ करने का आरोप लगा था।

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2 सितंबर 2016 - वकील एमएल शर्मा ने अपने अपने बाते पूरी की।

16 सितंबर 2016 - निर्भया गैंगरेप की जांच से जुड़ी डीसीपी छाया शर्मा का दिल्ली से तबादला हो गया और उन्हें मिजोरम भेज दिया गया।

7 नवंबर 2016 - गैंगरेप मामले की जांच से जुड़ी डीसीपी छाया शर्मा मिजरोम से दिल्ली मामले की सुनवाई के लिए आई। 

28 नंवबर 2016 - वरिष्ठ वकील और मामले में कोर्ट के सलाहकार संजय हेगड़े ने निर्भया केस में सूबत की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठाए

6 जनवरी 2017 - सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्तों से घटना की परिस्थिति बताने का आदेश दिया।

3 फरवरी 2017 - केस की सुनवाई में अनियमितताओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फिर से मामले की सुनवाई करने का फैसला सुनाया।

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6 मार्च 2017 - गैंगरेप के सभी आरोपियों ने कोर्ट में एडिशनल एफिडेविट दाखिल किया

27 मार्च 2017 - करीब 1 साल तक सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।