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समाजवादी पार्टी में एक बार फिर से सुलह की कोशिश जोर पकड़ चुकी है। गुरुवार को लखनऊ में अखिलेश और मुलायम के बीच समझौते की कोशिशें चलती रही लेकिन इसका कोई नतीजा निकल नहीं पाया।
फाइल फोटो
समाजवादी पार्टी में एक बार फिर से सुलह की कोशिश जोर पकड़ चुकी है। गुरुवार को लखनऊ में अखिलेश और मुलायम के बीच समझौते की कोशिशें चलती रही लेकिन इसका कोई नतीजा निकल नहीं पाया।
मुलायम ने जहां शिवपाल और अमर सिंह के साथ बातचीत की वहीं दूसरी तरफ शुक्रवार को शिवपाल अखिलेश से मिलने गए। अखिलेश और शिवपाल के बीच बैठक कुछ ही देर चली। इसके तत्काल बाद शिवपाल मुलायम से मिलने चले गए।
इस बीच रामगोपाल यादव ने समझौते को लेकर सभी अटकलों को खारिज कर दिया है। रामगोपाल ने कहा, 'अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी असली समाजवादी पार्टी है। और इसे ऐसे ही देखा जाना चाहिए। साइकिल चुनाव चिह्न हमें ही मिलना चाहिए।' वहीं मुलायम सिंह यादव समझौते को लेकर अखिलेश के फार्मूले से खुश नहीं है।
खबरों के मुताबिक मुलायम सिंह यादव अमर सिंह और शिवपाल यादव को पार्टी से हटाए जाने के पक्ष में नहीं है। जबकि अखिलेश हर हाल में अमर सिंह को पार्टी से हटाए जाने के पक्ष में है।
कुछ दिनों पहले ही रामगोपाल यादव की तरफ से बुलाए गए अधिवेशन में मुलायम सिंह को पार्टी के नैशनल प्रेसिडेंट पद से हटाते हुए अखिलेश यादव को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। वहीं शिवपाल यादव को पार्टी के राज्य प्रेसिडेंट के पद से बर्खास्त कर दिया गया था।
अधिवेशन के बाद समाजवादी पार्टी दो फाड़ हो गई और फिर दोनों खेमे ने पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावेदारी करनी शुरू कर दी। मामला चुनाव आयोग में है और आयोग ने दोनों खेमे को 9 जनवरी को बहुमत साबित करने को कहा है। बहुमत के आधार पर ही साइकिल चुनाव चिन्ह का आवंटन किया जाएगा।
और पढ़ें: अखिलेश की पिता मुलायम से नहीं बनी बात, 221 सपा MLA और 60 MLC सीएम के साथ, एफिडेविट पर किया साइन
समझौते की कोशिशों को लेकर रामगोपाल कह चुके हैं कि दोनों खेमों में कोई समझौता नहीं होने जा रहा है। रामगोपाल का दावा है कि पार्टी के 229 विधायकों में से 212 विधायक अखिलेश के साथ है जबकि 68 में से 56 एमएलसी उनके साथ है। रामगोपाल यादव का कहना है कि पार्टी के 24 सांसदों में से 15 उनके साथ है।
गुरुवार को मुलायम सिंह पार्टी विधायकों और सांसदों का समर्थन लेकर दिल्ली पहुंचे। हालांकि बाद में मुलायम नरम पड़ते नजर आए। सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्ष के बीच सुलह का फार्मूला तैयार हो चुका है और इसे बस अंतिम रूप दिया जाना है।
अखिलेश भी कह चुके हैं कि वह बस तीन महीनों के लिए पार्टी का नैशनल प्रेसिडेंट बने हैं और इसके बाद मुलायम सिंह जिसे चाहे पार्टी का नैशनल प्रेसिडेंट बना सकते हैं।
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Source : News Nation Bureau