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देश किसानों के लिए कृतज्ञ, जवानों की बहादुरी पर गर्व: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

राष्ट्रपति ने कहा कि मातृभूमि के स्वर्णिम भविष्य की उनकी परिकल्पनाएं अलग-अलग थीं परंतु न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के मूल्यों ने उनके सपनों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया.

Updated on: 25 Jan 2021, 07:43 PM

नई दिल्ली :

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 72 वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार शाम  को राष्ट्र को संबोधित किया. राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, संविधान की उद्देशिका में रेखांकित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए पुनीत आदर्श हैं. यह उम्मीद की जाती है कि केवल शासन की ज़िम्मेदारी निभाने वाले लोग ही नहीं, बल्कि हम सभी सामान्य नागरिक भी इन आदर्शों का दृढ़ता व निष्ठापूर्वक पालन करें.

राष्ट्रपति ने कहा कि मातृभूमि के स्वर्णिम भविष्य की उनकी परिकल्पनाएं अलग-अलग थीं परंतु न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के मूल्यों ने उनके सपनों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया

देश में चल रहे किसान आंदोलनों के बीच राष्ट्रपति ने कहा, विपरीत प्राकृतिक परिस्थितियों, अनेक चुनौतियों और कोविड की आपदा के बावजूद हमारे किसान भाई-बहनों ने कृषि उत्पादन में कोई कमी नहीं आने दी. यह कृतज्ञ देश हमारे अन्नदाता किसानों के कल्याण के लिए पूर्णतया प्रतिबद्ध है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि दिन-रात परिश्रम करते हुए कोरोना-वायरस को डी-कोड करके और बहुत कम समय में ही वैक्सीन को विकसित करके, हमारे वैज्ञानिकों ने पूरी मानवता के कल्याण हेतु एक नया इतिहास रचा है.

राष्ट्रपति ने कहा कि सियाचिन व गलवान घाटी में, माइनस 50 से 60 डिग्री तापमान में, सब कुछ जमा देने वाली सर्दी से लेकर, जैसलमर में, 50 डिग्री सेन्टीग्रेड से ऊपर के तापमान में, झुलसा देने वाली गर्मी में - धरती, आकाश और विशाल तटीय क्षेत्रों में - हमारे सेनानी भारत की सुरक्षा का दायित्व हर पल निभाते हैं. हमारे सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान पर हम सभी देशवासियों को गर्व है.

रामनाथ कोविंद कहा कि पिछले वर्ष, जब पूरी मानवता एक विकराल आपदा का सामना करते हुए ठहर सी गई थी, उस दौरान, मैं भारतीय संविधान के मूल तत्वों पर मनन करता रहा. मेरा मानना है कि बंधुता के हमारे संवैधानिक आदर्श के बल पर ही, इस संकट का प्रभावी ढंग से सामना करना संभव हो सका है.

रामनाथ कोविंद ने कहा, आपदा को अवसर में बदलते हुए, प्रधानमंत्री ने ‘आत्म-निर्भर भारत अभियान’ का आह्वान किया. हमारा जीवंत लोकतंत्र, हमारे कर्मठ व प्रतिभावान देशवासी – विशेषकर हमारी युवा आबादी – आत्म-निर्भर भारत के निर्माण के हमारे प्रयासों को ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं.


राष्ट्रपति ने कहा कि आत्म-निर्भर भारत ने, कोरोना-वायरस से बचाव के लिए अपनी खुद की वैक्सीन भी बना ली है. अब विशाल पैमाने पर, टीकाकरण का जो अभियान चल रहा है वह इतिहास में अपनी तरह का सबसे बड़ा प्रकल्प होगा.