समाजवादी दंगल 2017: चुनाव आयोग पहुंचकर रामगोपाल यादव ने 'साइकिल' पर ठोका दावा, कहा अखिलेश यादव के नेतृत्व वाला गुट ही असली समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी के भीतर मुलायम और अखिलेश यादव के बीच चल रही लड़ाई अब निर्णायक मोड़ लेती नजर आ रही है। समाजवादी पार्टी में तख्तापलट के बाद नाराज मुलायम अब उत्तर प्रदेश चुनाव में अपने बेटे के खिलाफ उतरने का मन बना चुके हैं।
highlights
- समाजवादी पार्टी के भीतर मुलायम और अखिलेश यादव के बीच चल रही लड़ाई अब निर्णायक मोड़ लेती नजर आ रही है
- समाजवादी पार्टी में तख्तापलट के बाद नाराज मुलायम अब उत्तर प्रदेश चुनाव में अपने बेटे के खिलाफ उतरने का मन बना चुके हैं
नई दिल्ली:
यूपी में 11 फरवरी से शुरू हो रहे चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के भीतर मुलायम और अखिलेश यादव के बीच चल रही लड़ाई अब निर्णायक मोड़ लेती नजर आ रही है।
अखिलेश यादव के चाचा राम गोपाल यादव 5731 शपथ पत्रों के साथ चुनाव आयोग पहुंचे और चुनाव आयोग को शपथ पत्र सौंपा। इन शपथ पत्रों में अखिलेश यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के समर्थन में 5731 हलफनामा शामिल है।
चुनाव आयोग से बाहर आने के बाद रामगोपाल यादव ने कहा कि अखिलेश यादव जिस गुट का नेतृत्व कर रहे हैं वही असली समाजवादी पार्टी है और इसलिए हमें उम्मीद है कि साइकिल चुनाव चिन्हें हमें ही मिलेगा।
Prima facie SP led by Akhilesh Yadav is the real Samajwadi party hence we have right over the cycle symbol: Ram Gopal Yadav pic.twitter.com/w9X9DRWZe0
— ANI (@ANI_news) January 7, 2017
चुनाव आयोग से मिलने के बाद रामगोपाल यादव ने कहा चुनाव आयोग ने चुनाव चिन्ह से जुड़े मुद्दे को सुलझाने के लिए 9 जनवरी तक का वक्त दिया है। हमने साइकिल पर अपने दावे को लेकर सभी कागजात ईसी के दफ्तर में जमा करा दिए हैं।
EC gave time till 9 Jan but we have submitted all relevant documents, brought 7 cartons with more than 1.5 lakh pages: Ramgopal Yadav pic.twitter.com/iLXAa6MXqb
— ANI (@ANI_news) January 7, 2017
राम गोपाल यादव 205 विधायक, 15 सांसद और 68 एमएलसी के समर्थन के साथ चुनाव आयोग पहुंचे थे। रामगोपाल यादव के साथ उनके सासंद बेटे अक्षय, नीरज शेखर समेत कई सांसद भी मौजूद थे
वहीं दूसरी तरह यूपी के शहरी विकास मंत्री आजम खान भी एक बार सुलह को कोशिश के लिए मुलायम सिंह यादव से मिलने पहुंचे हैं।
सूत्रों के मुताबिक मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच सुलह की सभी कोशिशें फेल हो चुकी है। रामगोपाल यादव की तरफ से बुलाए गए अधिवेशन में मुलायम सिंह यादव को नैशनल प्रेसिडेंट के पद से हटा दिया गया था। इसके अलावा शिवपाल यादव को भी पार्टी के उत्तर प्रदेश के स्टेट प्रेसिडेंट के पद से हटा दिया गया था। पार्टी की कमान लेने के बाद अखिलेश ने अमर सिंह को भी पार्टी से बाहर कर दिया था।
मुलायम सिंह ने इस सम्मेलन को अवैध बताते हुए पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावे को लेकर चुनाव आयोग गए। आयोग ने मुलायम और अखिलेश दोनों खेमे से चुनाव चिह्न पर दावेदारी को लेकर बहुमत पेश करने को कहा है। आयोग ने दोनों धड़े को 9 जनवरी को वक्त दिया है।
पार्टी के नैशनल प्रेसिडेंट के पद से हटाए जाने के बाद मुलायम और अखिलेश के बीच सुलह की कई कोशिशें हुई लेकिन मुलायम बेटे की शर्त मानने को लेकर तैयार नहीं हुए। अखिलेश अगले तीन महीनों तक पार्टी का नैशनल प्रेसिडेंट बने रहने के साथ अमर सिंह को पार्टी से बाहर रखने की शर्त पर अड़े हुए हैं। इसके अलावा अखिलेश शिवपाल को टिकट बंटवारे की प्रक्रिया से अलग रखते हुए दिल्ली की राजनीति में भेजे जाने के हिमायती हैं।
लेकिन मुलायम सिंह यादव को अखिलेश की यह शर्तें मंजूर नहीं है। गुरुवार को मुलायम के साथ बातचीत करने के बाद शिवपाल, मुलायम सिंह यादव से मिलने गए थे। हालांकि दोनों के बीच बातचीत ज्यादा लंबी नहीं चली। इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने अपने घर पर भरोसेमंद लोगों की भी बैठक बुलाई है।
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सूत्रों के मुताबिक मुलायम की बैठक में सुलह की आखिरी कोशिश को अमली जामा पहुंचाने की योजना पर काम किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक मुलायम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की कुर्सी चाहते हैं लेकिन अखिलेश फिलहाल इसके लिए तैयार होते नहीं दिख रहे हैं।
गठबंधन पर हो रही बात
इस बीच अखिलेश यादव और कांग्रेस के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। माना जा रहा है कि 9 जनवरी को दिल्ली में अखिलेश यादव और कांग्रेस वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी के बीच होने वाली मुलाकात में गठबंधन को लेकर बात हो सकती है।
राहुल गांधी के साथ होने वाली बातचीत में प्रियंका गांधी के मौजूद रहने की उम्मीद है। अखिलेश यादव के मुलायम सिंह यादव के अलग होने की स्थिति में कांग्रेस अखिलेश से हाथ मिला सकती है।
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अखिलेश इससे पहले भी कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन को लेकर संकेत देते रहे हैं। अखिलेश ने कहा था कि सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ हाथ मिलाया जा सकता है। हालांकि टिकटों के बंटवारे को लेकर शिवपाल और अखिलेश के बीच हुई लड़ाई ने गठबंधन की संभावनाओं पर पानी फेर दिया था।
दोनों खेमों ने अपनी-अपनी सूची जारी कर दी थी जिसके बाद कुल 403 सीटों के लिए सपा के 600 से अधिक उम्मीदवार हो गए थे।
मुलायम सिंह यादव पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल पर पहले ही चुनाव आयोग जाकर अपना दावा ठोक चुके हैं। हालांकि इस मामले में अखिलेश अपने पिता मुलायम पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।
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