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बिहार में अच्छी पैदावार के बीच लीची पल्प की बढ़ी मांग

बिहार में अच्छी पैदावार के बीच लीची पल्प की बढ़ी मांग

Updated on: 27 May 2022, 11:55 PM

मुजफ्फरपुर:

बिहार के मुजफ्फरपुर की चर्चित लीची की इस साल मौसम अनुकूल होने के कारण पैदावार अच्छी हुई है वहीं इस साल इसके पल्प की भी मांग बढ़ी है।

जिले के व्यवसाइयों का दावा है कि इस साल पल्प की मांग भी बढ़ गई है। महानगरों से लेकर विदेशों तक से ऑर्डर आ रहे हैं।

मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक एस डी पांडेय बताते हैं कि जिले में कई प्रोसेसिंग यूनिट लगाई गई हैं, तब से बी ग्रेड लीची की भी मांग बढ़ी है।

उन्होंने बताया कि पहले केवल बेहतर या अच्छी लीची की मांग होती थी, जबकि बी ग्रेड की लीची की बिक्री नहीं के बराबर होती थी, अब इसकी भी मांग पल्प बनाने के लिए हो रही है। पल्प के उत्पादों की मांग देश ही नहीं विदेशों में हो रही है।

अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक और सह निदेशक अनुसंधान, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के प्रोफेसर एस के सिंह बताते हैं कि लीची के छिलके और बीज को हटा लिया जाता है। आमतौर पर लीची बहुत कम दिनों का फल है, जबकि पल्प, लिचमिस कई दिनों तक रहते हैं।

बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर में फिलहाल नौ से दस छोटे बड़े प्रोसेसिंग यूनिट हैं, जिसमे इस साल 30 हजार टन बी ग्रेड की लीची आने की उम्मीद है। पिछले साल करीब 10 से 12 हजार टन बी ग्रेड लीची प्रोसेसिंग यूनिट पहुंची थी।

किसानों का कहना है कि पहले किसानों को बी ग्रेड लीची बर्बाद हो जाती थी। अमूमन, लीची की कीमत से आधी कीमतों में बी ग्रेड की लीची की बिक्री होती थी, लेकिन अब पल्प की मांग बढ़ने के बाद इसकी कीमत अच्छी मिल जा रही है।

एक अनुमान के मुताबिक 100 लीची में 75 प्रतिशत अच्छी लीची होती है तो 25 प्रतिशत बी ग्रेड की लीची निकल जाती है। पल्प से स्क्वायस और जूस तैयार किए जा रहे है। पल्प का उपयोग शराब बनाने में भी कई स्थानों पर किया जाता है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.