मध्य प्रदेश विधानसभा का चार दिवसीय मानसून सत्र हंगामें की भेट चढ़ गया। यह सत्र महज दो दिन ही चल सका और मंगलवार को इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। सत्र के दूसरे दिन सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जमकर तकरार हुई, हंगामा हुआ। इसके चलते विधानसभाध्यक्ष गिरीश गौतम ने सत्र को अनिचितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल के दौरान पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर सवाल चल रहे थे, तभी नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ ने महंगाई का मुद्दा उठाया, जिस पर हंगामा शुरु हो गया। कमल नाथ ने कहा कि कांग्रेस ने स्थगन दिया है इसलिए इस पर चर्चा होनी चाहिए। इसके बाद कांग्रेस विधायकों ने हंगामा किया, इसी बीच विधानसभा की कार्रवाई को आधा घंटे के लिए विधानसभाध्यक्ष गौतम ने स्थगित कर दिया।
विधानसभा की कार्यवाही दोबारा शुरु हुई तो फिर हंगामा हुआ, इस दौरान सभी सरकारी कामकाज निपटाए गए और विधानसभाध्यक्ष ने कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का ऐलान कर दिया।
विधानसभा में आदिवासी और पिछड़ों के मसले पर भी दोनों दलों के नेताओं में नोकझोंक हुई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि कांग्रेस भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है और समाज को तोड़ने के प्रयास में लगी है। कल आदिवासियों को लेकर भ्रम फैलाया और आज पिछड़े वर्ग को भ्रमित करने का कांग्रेस प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री चौहान ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार का जिक्र करते हुए कहा, 8 मार्च 2019 को 14 से 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने का तत्कालीन सरकार ने वचन दिया था। 10 मार्च को याचिका लगी और 19 मार्च को स्टे आ गया। 10 से 19 तारीख तक तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने अपना एडवोकेट जनरल तक कोर्ट में खड़ा नहीं किया। तत्कालीन सरकार ने अपने शासन के दौरान कोई प्रयास तक नहीं किया। कमलनाथ ने पिछड़े वर्ग की पीठ में छूरा घोंपा है। कांग्रेस पाखंड कर रही है, पिछड़ा वर्ग को कांग्रेस ने धोखा दिया है।
मुख्यमंत्री ने कमल नाथ पर आरोप लगाते हुए कहा, कमलनाथ जवाब दें कि 27 प्रतिशत आरक्षण बरकरार रखने के लिए कांग्रेस ने क्या किया। स्टे कराने का षड्यंत्र किया। कांग्रेस का पाखंड हम चलने नहीं देंगे, पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
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Source : IANS