देश के सभी जिलों में गरीबों के लिए स्थापित होगा कानूनी सहायता केंद्र

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस यूयू ललित ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) लोक अभियोजक कार्यालय की तर्ज पर सभी जिलों में गरीबों के लिए कानूनी सहायता प्रणाली स्थापित किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस यूयू ललित ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) लोक अभियोजक कार्यालय की तर्ज पर सभी जिलों में गरीबों के लिए कानूनी सहायता प्रणाली स्थापित किया जाएगा.

author-image
Iftekhar Ahmed
New Update
Supreme Court of India

देश के सभी जिलों में गरीबों के लिए स्थापित होगा कानूनी सहायता केंद्र( Photo Credit : File Photo)

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस यूयू ललित ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) लोक अभियोजक कार्यालय की तर्ज पर सभी जिलों में गरीबों के लिए कानूनी सहायता प्रणाली स्थापित किया जाएगा. नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित प्रथम अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बैठक को संबोधित करते हुए ये बातें कही. उन्होंने कहा कि 112 आकांक्षी जिलों सहित पूरे देश में 350 जिलों का चयन किया गया है, जिन्हें सरकार के अनुसार सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी है.

Advertisment

डीएलएसए के जरिए देशभर के सभी गांवों तक बनाई जाएगी पहुंच
उन्होंने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) कार्यालय एक नोडल कार्यालय के रूप में कार्य करेगा, जिससे जरूरतमंद विचाराधीन लोगों के साथ एक इंटरफेस होगा. इसके साथ ही वे गरीब अभियुक्त जो निजी वकीलों का खर्च नहीं उठा सकते हैं, उन्हें बचाव पक्ष के वकील प्रदान किए जाएंगे. 42-दिवसीय अखिल भारतीय जागरुकता और आउटरीच कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि नालस राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरणों (एसएलएसए) और डीएलएसए के माध्यम से देश भर के लगभग सभी गांवों तक पहुंचेगा.

विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों तक सीमित नहीं होना चाहिए न्याय
सर्वोच्च न्यायालय के एक अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि न्याय सामाजिक-आर्थिक रूप से विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों तक सीमित नहीं होना चाहिए और राज्य को एक न्यायसंगत और समतावादी सामाजिक व्यवस्था को सुरक्षित करना चाहिए. उन्होंने प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया, जो पहुंच को बड़ा करके डिजिटल विभाजन को कम कर सकता है. उन्होंने कहा कि 30 अप्रैल तक उच्च न्यायालयों और जिला अदालतों द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर 19.2 मिलियन मामलों की सुनवाई की गई. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) में 17 करोड़ निर्णयित और लंबित मामलों का डेटा है. राष्ट्र में मौजूद असमानता के अस्तित्व के खिलाफ उन्होंने कहा कि न्याय हमारे समाज के सामाजिक-आर्थिक रूप से विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों तक सीमित नहीं होना चाहिए और राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सामाजिक कारणों से समाज के किसी भी वर्ग को न्याय हासिल करने के अवसरों से वंचित नहीं किया जाए.

ये भी पढ़ें-महाराष्ट्र के राज्यपाल के बयान पर गरमाई सियासत, सीएम शिंदे ने दिया ये बड़ा बयान

बैठक को संबोधित करने वाले कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि नालसा ने विचाराधीन कैदियों की पहचान करने के लिए एक अभियान शुरू किया है, जो रिहाई के लिए पात्र हैं और उनके मामलों की समीक्षा समितियों को करने की सिफारिश करते हैं. अभियान 16 जुलाई को शुरू किया गया था, जहां डीएलएसए को प्रगति पर चर्चा करने के लिए विचाराधीन समीक्षा समितियों की साप्ताहिक बैठकें आयोजित करने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि वे अतिरिक्त मामलों की भी समीक्षा करेंगे और आगे की कार्रवाई पर चर्चा करेंगे, जिसमें आवश्यकता पड़ने पर उच्च न्यायालयों और शीर्ष अदालत में जमानत दाखिल करना शामिल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने भी बैठक को संबोधित किया और न्याय से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बात की और जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की रिहाई और कानूनी सहायता की प्रतीक्षा करने पर जोर दिया.

Source : News Nation Bureau

legal aid legal aid for persons with mental illnesses legal aid for persons with disabilities legal aid for Poor free legal aid civil legal aid legal aid centre district legal services authority legal aid under legal services authorities act
      
Advertisment