झारखंड में कोर्ट फीस वृद्धि के खिलाफ राज्य के विभिन्न जिलों के हजारों अधिवक्ताओं ने शनिवार को दूसरे दिन भी अदालती कामकाज से खुद को दूर रखा। अधिवक्ताओं के कार्य बहिष्कार आंदोलन से दो दिनों में लगभग पांच हजार मुकदमों की सुनवाई नहीं हो पाई। इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज अपने आवास पर सैकड़ों अधिवक्ताओं के साथ संवाद के दौरान आश्वस्त किया कि कोर्ट फीस वृद्धि से जुड़ा जो बिल राज्य विधानसभा से पारित हुआ है, उसपर विचार-विमर्श के बाद संशोधन किया जा सकता है।
सीएम के साथ हुए संवाद के बाद एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह आश्वस्त किया कि वकीलों को ट्रस्टी कमेटी की तरफ से जितनी पेंशन राशि मिलती है, उतनी ही राशि सरकार भी देगी। यानी पेंशन की राशि अब दोगुनी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार की यह पहल ऐतिहासिक है, क्योंकि अब तक किसी सरकार ने अधिवक्ताओं को वित्तीय सहायता नहीं की है। इसके साथ ही यह भी एलान किया गया है कि 5 लाख रुपये का मेडिकल इंश्योरेंस हर अधिवक्ता और उसके परिवार को मिलेगा। 5 लाख के दुर्घटना बीमा का भी मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है।
इधर, मुख्यमंत्री के संवाद कार्यक्रम का बहिष्कार करते हुए रांची जिला बार एसोसिएशन के सैकड़ों सदस्यों ने शनिवार को सिविल कोर्ट से शहर के अल्बर्ट एक्का चौक तक मार्च किया। अधिवक्ताओं ने विधानसभा से पारित कोर्ट फी संशोधन विधेयक 2022 को वापस लेने की मांग की। कहा कि कोर्ट फीस में वृद्धि का फैसला अतार्किक और जनता पर बोझ डालने वाला है। इससे न्याय पाने की प्रक्रिया कठिन हो जाएगी। रांची जिला बार एसोसिएशन के महासचिव संजय विद्रोही ने कहा कि कोर्ट फीस वृद्धि वापस लेने, अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने, अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए बजट निर्धारित करने की मांग पर सभी अधिवक्ता एकजुट हैं। दो दिनों के कार्य बहिष्कार आंदोलन की समीक्षा के लिए बार काउंसिल ने 8 जनवरी को पुन: बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।
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Source : IANS