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ट्रिपल तलाक पर संसद में संग्राम, कानून मंत्री ने कहा राजनीति नहीं इंसानियत के लिए जरूरी

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान गुरुवार को संसद में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मोदी सरकार के बहुप्रतिक्षित ट्रपिल तलाक बिल को पेश किया जिसके सदन में सरकार और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बीच जोरदार बहस हुई

Updated on: 27 Dec 2018, 02:58 PM

नई दिल्ली:

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान गुरुवार को संसद में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मोदी सरकार के बहुप्रतिक्षित ट्रपिल तलाक बिल को पेश किया जिसके सदन में सरकार और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बीच जोरदार बहस हुई. बिल पेश करने के दौरान रविशंकर प्रसाद ने कहा, इस मामले क इंसानियत के तराजू से देखा जाए न कि सियासत की नजर से. प्रसाद ने कहा विपक्ष ने जो सुझाव दिए हम बदलने के तैयार रहे. लेकिन महिलाओं को न्याय मिलना चाहिए. तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलना ही चाहिए. नारी सम्मान नारी गरिमा के लिए सदन को एकमत होना चाहिए.

रविशंकर प्रसाद ने ट्रिपल तलाक बिल के समर्थन में बहस के दौरान दलील पेश करते हुए कहा, 20 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाया है. उन्होंने सवालिया भरे लहजे में कहा भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में यह क्यों नहीं होना चाहिए. प्रसाद ने कहा कि इस मामले को धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.

वहीं दूसरी तरफ इस बिल को लेकर नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग करते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों की भावना का ख्याल रखा जाना चाहिए. विरोध के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सदन में जोरदार बहस शुरू हो गई.

इससे पहले प्रश्नकाल के दौरान सुमित्रा महाजन ने खड़गे को बोलने की अनुमति नहीं दी थी. वह संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) और राफेल विमानों की खरीद पर कुछ कहना चाहते थे. पहले स्थगन के बाद जैसे ही सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, खड़गे उस समय सदन में मौजूद नहीं थे.

इसके बाद आम आदमी पार्टी (आप) सांसद भगवंत मान को बोलने की अनुमति दी गई. उन्होंने सदन से 17वीं सदी में सिखों के 10वें गुरु गुरु गोविंद सिंह के चार बेटों के निधन पर संवेदना व्यक्त करने का आग्रह किया और कहा कि उनके बलिदान को याद रखा जाए.

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कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन, शिरोमणि अकाली दल के प्रेम सिह चंदूमाजरा और भाजपा सांसद एस.एस.आहलुवालिया ने भी मुद्दे को उठाते हुए सदन से दो मिनट का मौन बनाए रखने का आग्रह किया.

सुमित्रा महाजन ने सदन की ओर से संवेदना जताते हुए कहा, "यह सिख धर्म या किसी विशेष धर्म से जुड़ा हुआ नहीं है. गुरु गोबिंद सिंह के दो बेटों ने छह और चार साल की आयु में अपना जीवन बलिदान कर दिया था. देश उनके बलिदान को कभी नहीं भूलेगा."

उसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी और हंगामे के बीच सदन के पटल पर दस्तावेज रखे गए.

कांग्रेस सांसद 36 राफेल विमान सौदे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग कर रहे थे जबकि एआईएडीएमके के सांसद कावेरी नदी पर बांध बनाने के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग कर रहे थे.

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तेदेपा सांसदों ने आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग सहित विभिन्न मुद्दों पर हंगामा किया.

समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेद्र यादव ने आरक्षण के मुद्दे को उठाया लेकिन जब उन्हें बोलने के लिए एक मिनट से अधिक का समय नहीं दिया गया तो वह सदन से वॉकआउट कर गए.

सुमित्रा महाजन ने कामकाज जारी रखने की कोशिश की लेकिन सांसदों ने विरोध जारी रखा, जिसके बाद सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.

इससे पहले सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित की गई थी.