जजों की नियुक्ति को लेकर अदालत और सरकार के बीच चल रही तनातनी के बीच केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सरकरा की मंशा न्यायिक नियुक्तियों में दखल देने की नहीं है।
उन्होंने कहा " आपने कहा कि हम हर मामले में दखलंदाजी करते हैं। हमारी ऐसी कोई मंशा नहीं है। अंबेडकर ने कहा था कि हम नियुक्ति का अधिकार किसी एक हाथ में नहीं देना चाहते, चाहे वो प्रधानमंत्री हों, मंत्री हों या फिर मुख्य न्यायाधीश हो। यही भारत के संविधान की विशेषता है.... यह कहता है कि भारत के राष्ट्रपति ही जजों की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश से सलाह करके करेंगे।"
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के हाथ में परमाणु बटन हो तो उस पर विश्वास किया जा सकता है लेकिन जजों की नियुक्ति को लेकर संदेह किया जाता है।
उन्होंने कहा कि अभी भी निचली अदालतों में 5000 से ज्यादा न्यायिक पद खाली पड़े हैं। ये उच्च न्यायालयों की जिम्मेदारी है कि उन पदों पर नियुक्तियां की जाएं।
पिछले एक साल में सरकार और सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम जजों की नियुक्ति को लेकर मतभेद हैं।
Source : News Nation Bureau