प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ()ने शनिवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन (the joint conference of Chief Ministers and Chief Justices of High Courts) Naको संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अप्रासंगिक हो चुके 1,450 कानूनों को खत्म कर दिया है, लेकिन राज्यों ने सिर्फ 75 कानूनों को ही अब तक खत्म किया है. विज्ञान भवन में एक सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हम न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं. हम न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार और उन्नयन के लिए भी काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने ई-कोर्ट्स मिशन मोड प्रोजेक्ट के तहत अदालती प्रक्रियाओं में बुनियादी ढांचे में सुधार और डिजिटल प्रौद्योगिकी के एकीकरण के लिए कई पहल की हैं.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार न्यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी को डिजिटल इंडिया मिशन का एक अनिवार्य हिस्सा मानती है. ई-कोर्ट परियोजना को आज मिशन मोड में लागू किया जा रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय की सभी कार्यवाही अंग्रेजी में आयोजित की जाती है, इसलिए एक बड़ी आबादी के लिए न्यायिक प्रक्रिया और निर्णयों को समझना मुश्किल लगता है. हमें आम जनता के लिए प्रणाली को सरल बनाने की आवश्यकता है. उन्होंने न्याय प्रणाली में देश के आम नागरिकों के विश्वास को बढ़ाने के लिए अदालतों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने की वकालत की.
Addressing the Joint Conference of Chief Ministers and Chief Justices of High Courts. https://t.co/P1jsj2N1td
— Narendra Modi (@narendramodi) April 30, 2022
पीएम मोदी ने कहा कि आजकल कई देशों के लॉ यूनिवर्सिटी में ब्लॉकचेन, इलेक्ट्रॉनिक डिस्कवरी, साइबर सिक्योरिटी, रोबोटिक्स, एआई और बायोएथिक्स जैसे विषय पढ़ाए जा रहे हैं. हमारे देश में भी कानूनी शिक्षा इन अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक होनी चाहिए, यह हमारी जिम्मेदारी है. उन्होंने आगे कहा कि 2015 में केंद्र सरकार ने लगभग 1,800 कानूनों की पहचान की, जो अप्रासंगिक हो गए थे. इनमें से केंद्र ने 1,450 ऐसे कानूनों को समाप्त कर दिया गया. लेकिन, राज्यों द्वारा केवल 75 कानूनों को समाप्त कर दिया गया है. वहीं, प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से संयुक्त सम्मेलन कार्यपालिका और न्यायपालिका के लिए न्याय के सरल और सुविधाजनक वितरण के लिए रूपरेखा तैयार करने और न्याय प्रणाली के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा करने का एक अवसर है.
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लोकतंत्र की मजबूती के लिए लक्षण रेखा जरूरी
इस बीच, CJI एनवी रमना ने अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए, हमें लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि संविधान तीन अंगों के बीच शक्ति का पृथक्करण प्रदान करता है और उनके बीच सामंजस्य पूर्ण कार्य लोकतंत्र को मजबूत करता है.
HIGHLIGHTS
- मुख्यमंत्रियों व मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को PM Modi ने किया संबोधित
- पीएम बोले, केंद्र सरकार अब तक अप्रासंगिक हो चुके 1,450 कानूनों को कर चुकी है खत्म
- न्यायालय में अंग्रेजी के बोलबाला पर भी उठाए सवाल, बोले आम लोगों की समझ से परे
Source : News Nation Bureau