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अनुच्छेद 370 का मामला बड़ी बेंच को देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, पांच जजों की बेंच ही करेगी सुनवाई

जम्मू कश्मीर को अनुच्‍छेद 370 के तहत मिले विशेष राज्य का दर्ज़ा ख़त्म होने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर पांच जजों की बेंच ही सुनवाई करेगी.

Updated on: 02 Mar 2020, 11:45 AM

नई दिल्‍ली:

जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) को अनुच्‍छेद 370 के तहत मिले विशेष राज्य का दर्ज़ा ख़त्म होने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर पांच जजों की बेंच ही सुनवाई करेगी. सोमवार को संविधान पीठ ने इस मसले को 7 जजों की बड़ी बेंच को भेजने से इंकार कर दिया है. याचिकाकर्ताओं ने 7 जजों की बेंच को भेजने का आग्रह किया था, जबकि केंद्र ने बड़ी बेंच को भेजे जाने का विरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की इस दलील से सहमति जताई कि अनुच्छेद 370 को लेकर पहले दिए 2 फैसलों- (1959 में प्रेम नाथ कौल बनाम जम्मू-कश्मीर और 1970 में संपत प्रकाश बनाम जम्मू-कश्मीर) के बीच कोई विरोधाभास नहीं है. लिहाजा मामले को 7 जजों की बेंच को भेजे जाने की ज़रूरत नहीं.

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सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद 23 जनवरी को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था, सुनवाई करने के बाद अब हम इस पर विचार करेंगे कि इस मामले को कहां भेजना है. केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था. इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के हालात में बदलाव के लिए अनुच्छेद 370 हटाना ही एकमात्र विकल्प था. अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद राज्‍य की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है.

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मोदी सरकार ने 5 अगस्‍त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्‍य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने का फैसला लिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 हटाए जाने की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी. कई सारी याचिकाओं की सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ सुनवाई शुरू की थी.