सुप्रीम कोर्ट ने करोड़ों रुपये के चारा घोटाला मामले में झारखंड हाईकोर्ट के जमानत देने वाले दो आदेशों के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सोमवार को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को नोटिस जारी किया।
सीबीआई ने 17 अप्रैल, 2021 और 9 अक्टूबर, 2020 को झारखंड हाईकोर्ट के आदेशों को चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने दोनों मामलों में नोटिस जारी किया।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का कहना है कि दी गई सजा का आधा हिस्सा लालू प्रसाद पहले ही काट चुके थे, इसलिए उसने 50 प्रतिशत नियम का पालन किया है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में सीबीआई का प्रतिनिधित्व करते हुए एस.वी. राजू ने कहा कि नियम इस तथ्य के आलोक में लागू नहीं होगा कि सजा लगातार चलनी थी। पीठ ने पूछा, सजा क्या है? .. कितनी अवधि बिताई गई है?
उन्होंने कहा कि यह आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 427 के तहत प्रावधान के विपरीत था, जिसमें कहा गया था कि बाद की सजा केवल पहली सजा मिलने के बाद ही शुरू होगी।
अविभाजित बिहार में पशुपालन विभाग में 950 करोड़ रुपये का चारा घोटाला तब हुआ, जब लालू प्रसाद मुख्यमंत्री थे।
दुमका कोषागार से धोखाधड़ी से 3.13 करोड़ रुपये निकालने के मामले में हाईकोर्ट ने पिछले साल अप्रैल में लालू प्रसाद को जमानत दे दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि उसने सजा की आधी अवधि पूरी कर ली है। और, अक्टूबर 2020 में हाईकोर्ट ने चाईबासा कोषागार से धन की अवैध निकासी से जुड़े चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद को जमानत दे दी थी।
लालू प्रसाद को चारा घोटाला के चार मामलों में झारखंड के देवघर, दुमका और चाईबासा कोषागार से फर्जी तरीके से पैसे निकालने के मामले में दोषी ठहराया गया था।
सीबीआई की एक विशेष अदालत ने मार्च 2018 में दुमका कोषागार से जुड़े मामले में प्रसाद को 14 साल जेल की सजा सुनाई थी।
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Source : IANS