कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने सोमवार को राज्य पुलिस को बोगतुई नरसंहार के मुख्य आरोपी लालन शेख की कथित आत्महत्या की जांच शुरू करने का निर्देश दिया। पिछले साल मार्च में हुए नरसंहार में नौ लोगों की मौत हो गई थी। पिछले साल ही 12 दिसंबर को बीरभूम जिले के रामपुरहाट स्थित सीबीआई के कैंप कार्यालय में लालन शेख की रहस्यमय हालात में मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल न्यायाधीश पीठ ने राज्य पुलिस को मामले में सात आरोपी सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ जांच करने की अनुमति देते हुए जांच की कुछ प्रक्रियाओं पर प्रतिबंध लगाए।
न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने राज्य पुलिस से मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने को कहा, जिसका नेतृत्व पश्चिम बंगाल कैडर के महानिरीक्षक (आईजी) रैंक के आईपीएस अधिकारी प्रणब कुमार करेंगे। न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने कुमार को एसआईटी के अन्य सदस्यों का चयन करने की स्वतंत्रता दी।
न्यायालय के निर्देश के अनुसार, एसआईटी के गठन की प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर पूरी करनी होगी। एसआईटी कलकत्ता उच्च न्यायालय की अनुमति के बिना जांच की अंतिम रिपोर्ट पेश नहीं कर सकेगी। एसआईटी को निचली अदालत को छोड़कर जहां मामले की सुनवाई होगी, राज्य सरकार सहित कहीं और रिपोर्ट नहीं देनी है।
एकल न्यायाधीश की पीठ ने यह भी कहा कि सात आरोपी सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी सहित किसी भी ठोस कार्रवाई के खिलाफ ढाल बनी रहेगी।
पीठ ने सीबीआई को एसआईटी के सदस्यों को पूरा सहयोग देने का भी निर्देश दिया। पूरी जांच प्रक्रिया की निगरानी कोर्ट करेगी।
मार्च 2022 में बीरभूम जिले में बोगतुई नरसंहार के बाद से आठ महीने की तलाश के बाद लालन शेख को पिछले साल दिसंबर में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।
बोगतुई हत्याकांड को तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता वाडू शेख की हत्या का बदला माना जा रहा है। लालन शेख वाडू शेख का दाहिना हाथ था और वाडू की हत्या के तुरंत बाद उसने अपने सहयोगियों को इकट्ठा किया और बोगतुई गांव पर बम और ज्वलनशील वस्तुओं के साथ देर रात में हमला किया था।
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Source : IANS